राजनीति और परिवार जब आमने-सामने आ जाएं, तो अक्सर एक दिलचस्प स्थिति पैदा होती है। ऐसा ही कुछ हुआ है छत्रपति संभाजीनगर की फुलंब्री विधानसभा क्षेत्र की विधायक अनुराधा चव्हाण और उनके पति के बीच।
सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) में चीफ इंजीनियर के पोस्ट पर कार्यरत अतुल चव्हाण ने हाल ही में अपनी पत्नी और विधायक अनुराधा चव्हाण को एक चिट्ठी लिखी है। इस पत्र में उन्होंने साफ-साफ और सख्त संदेश दिया है, “अपने कार्यकर्ताओं से कहें कि वे मेरे फोटो का इस्तेमाल न करें।”
क्यों लिखना पड़ा पत्र?
अतुल चव्हाण ने पत्र में स्पष्ट किया कि वे एक सरकारी सेवक हैं। ऐसे में अगर उनके फोटो का इस्तेमाल राजनीतिक बैनरों या प्रचार सामग्री में होता है, तो ये उनकी कार्यकुशलता और सरकारी पद की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है।
उन्होंने ये भी बताया कि इस तरह की बैनरबाजी की वजह से उनके खिलाफ शिकायतें दर्ज होने लगी हैं। लगातार बढ़ती शिकायतें उनके लिए परेशानी और मानसिक दबाव का कारण बन रही हैं।
कार्यकर्ताओं को मर्यादा में रहने की अपील
इसी वजह से उन्होंने विधायक अनुराधा चव्हाण से साफ शब्दों में कहा है कि वे अपने कार्यकर्ताओं को मर्यादा में रहने और प्रचार सामग्री से उनका फोटो हटाने के निर्देश दें।
राजनीति और सेवा का अलग रास्ता
ये घटना एक बड़ा सवाल खड़ा करती है, क्या राजनीति और पारिवारिक जीवन को पूरी तरह अलग रखा जा सकता है? खासकर तब, जब एक व्यक्ति सार्वजनिक पद पर हो और दूसरा राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहा हो।
फिलहाल, अतुल चव्हाण की ये चिट्ठी राजनीतिक गलियारों और स्थानीय चर्चाओं का हिस्सा बन चुकी है। ये देखना दिलचस्प होगा कि आगे विधायक अनुराधा चव्हाण और उनकी टीम इस अपील पर किस तरह प्रतिक्रिया देती है।
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