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Effect of Subabul: टाइप 2 डायबिटीज में मदद कर सकता है ‘सुबाबुल’ का पौधा, IASST शोध में हुआ खुलासा

Effect of Subabul: टाइप 2 डायबिटीज में मदद कर सकता है 'सुबाबुल' का पौधा, IASST शोध में हुआ खुलासा

Effect of Subabul: गुवाहाटी के इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (IASST) ने हाल ही में एक शोध के जरिए यह दिखाया कि पारंपरिक औषधीय पौधा टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) के इलाज में कारगर हो सकता है। यह शोध डायबिटीज से पीड़ित लाखों लोगों के लिए उम्मीद की नई किरण लेकर आया है। आइए, इस शोध के प्रमुख बिंदुओं और ‘सुबाबुल’ के महत्व को विस्तार से समझते हैं।

सुबाबुल क्या है और क्यों खास है?

सुबाबुल का प्रभाव (Effect of Subabul) एक तेजी से बढ़ने वाला पौधा है, जिसका वैज्ञानिक नाम ल्यूकेना ल्यूकोसेफाला (Leucaena leucocephala) है। यह उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है और पारंपरिक चिकित्सा में इसका लंबे समय से उपयोग हो रहा है।

इसके पत्ते और बीज खाने योग्य होते हैं। पत्तों को सूप और सलाद में इस्तेमाल किया जा सकता है, और ये प्रोटीन और फाइबर के समृद्ध स्रोत हैं। इस पौधे का उपयोग न केवल इंसानों के लिए बल्कि पशु आहार के रूप में भी होता है। लेकिन अब यह डायबिटीज जैसी गंभीर समस्या के समाधान में मददगार साबित हो रहा है।

IASST की टीम ने पाया कि सुबाबुल की फलियों में ऐसे यौगिक मौजूद हैं जो इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin Resistance) को कम कर सकते हैं। इंसुलिन प्रतिरोध वह स्थिति है जब शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन पर सही ढंग से प्रतिक्रिया नहीं करतीं, जिससे ब्लड शुगर नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है।

शोध की प्रक्रिया और मुख्य निष्कर्ष

शोधकर्ताओं ने सुबाबुल के बीजों से कई जैविक यौगिक (Biological Compounds) निकाले और उनमें से सबसे प्रभावी यौगिकों का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि इनमें मौजूद क्वेरसेटिन-3-ग्लूकोसाइड (Quercetin-3-glucoside) नामक यौगिक इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ाने में सहायक है।

इस यौगिक ने फ्री फैटी एसिड-इंड्यूस्ड पेशी कोशिकाओं (C2C12) में इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार दिखाया। यह माइटोकॉन्ड्रियल एंजाइम SIRT1 (सर्टुइन 1) को सक्रिय कर ग्लूकोज अवशोषण (Glucose Uptake) को बढ़ाता है। यह एंजाइम कोशिका झिल्ली में ग्लूट2 (GLUT2) नामक प्रोटीन को ट्रांसलोकेट करता है, जो ग्लूकोज और फ्रुक्टोज को कोशिकाओं में पहुंचाने में मदद करता है।

इसके अलावा, हाइड्रोजन बांड बनाने की क्षमता के कारण, यह यौगिक SIRT1 के साथ स्थिर अंतःक्रिया करता है, जिससे इंसुलिन प्रतिरोध को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। शोध के नतीजे प्रतिष्ठित पत्रिका ACS Omega में प्रकाशित किए गए हैं, जिससे इसकी प्रामाणिकता और बढ़ गई है।

सुबाबुल और टाइप 2 डायबिटीज का इलाज

टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) एक ऐसी समस्या है, जो दुनिया भर में तेजी से फैल रही है। इस स्थिति में ब्लड शुगर का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है, और लंबे समय तक इसे नियंत्रण में न रखने से हृदय, किडनी, और अन्य अंगों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

IASST का यह शोध इस बात को प्रमाणित करता है कि सुबाबुल न केवल ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, बल्कि इसके नियमित उपयोग से डायबिटीज से संबंधित अन्य जटिलताओं को भी रोका जा सकता है।

हालांकि, इस औषधीय पौधे को चिकित्सा पद्धति में लाने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है। फिर भी, पारंपरिक चिकित्सा में सुबाबुल का उपयोग इसकी प्रभावशीलता का एक बड़ा प्रमाण है।


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