पोस्टमार्टम… किसी की मौत के पीछे के सच को उजागर करने का एक ज़रूरी कदम। डॉक्टर की एक रिपोर्ट कई बार किसी केस की दिशा ही बदल देती है। लेकिन क्या हो जब वही पोस्टमार्टम प्रक्रिया लापरवाही की भेंट चढ़ जाए? मुंबई उच्च न्यायालय के सामने हाल ही में ऐसा ही एक मामला आया है।
एक हत्या के मामले में आरोपी की जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत का ध्यान कुछ चौंकाने वाली बातों की ओर गया। याचिका में दावा किया गया कि मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट अधूरी है, और इससे मौत के असली कारणों का पता लगाना मुश्किल है। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष जांच समिति गठित की, जिसकी रिपोर्ट ने सनसनीखेज़ खुलासे किए।
समिति ने पाया कि जिस डॉक्टर ने पोस्टमार्टम किया था, उसने अपनी रिपोर्ट में कई कमियां छोड़ दीं। चोटों का सही लेखा-जोखा नहीं था, नमूनों (samples) को ठीक से सुरक्षित नहीं किया गया, और सबसे अहम बात, मौत के कारण के बारे में स्पष्टता नहीं थी। डॉक्टर ने सरकारी अस्पताल में किए गए पोस्टमार्टम की रिपोर्ट अपने निजी अस्पताल के लेटरहेड पर जमा की, जो नियमों के विरुद्ध है।
न्यायालय ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि पोस्टमार्टम में इस तरह की लापरवाही न्याय के लिए एक बड़ा खतरा है। स्वास्थ्य विभाग के सचिव और ठाणे के पुलिस आयुक्त को इस मामले में डॉक्टर के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। अदालत ने स्वास्थ्य सचिव को चार हफ्तों में विस्तृत रिपोर्ट भी पेश करने को कहा है।