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Modak Story: जान‍िए मोदक की शुरुआत की दिलचस्प कहानी और क्यों बना यह गणपति का प्रिय भोग

Modak Story: जान‍िए मोदक की शुरुआत की दिलचस्प कहानी और क्यों बना यह गणपति का प्रिय भोग
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Modak Story: मुंबई में गणेश चतुर्थी का उत्सव 27 अगस्त 2025 से शुरू हो रहा है। ये त्योहार भगवान गणेश की भक्ति और उल्लास का प्रतीक है। इस मौके पर हर घर और पंडाल में गणपति बप्पा की पूजा होती है, लेकिन बिना मोदक के उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है। मोदक गणेश जी का सबसे पसंदीदा भोग है। आखिर ये मोदक बप्पा को इतना प्रिय क्यों है? इसकी शुरुआत की कहानी भी उतनी ही रोचक है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार ऋषि अत्रि की पत्नी अनुसूया ने भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी को भोजन के लिए बुलाया। गणेश जी ने इतना खाना खाया कि सारा भोज खत्म हो गया। आखिर में सिर्फ मोदक बचे थे। अनुसूया ने श्रद्धा से गणेश जी को 21 मोदक परोसे। इन्हें खाकर गणेश जी इतने खुश हुए कि तभी से परंपरा शुरू हुई कि गणेश चतुर्थी पर उन्हें 21 मोदक का भोग लगाया जाए।

मोदक का इतिहास भी बहुत पुराना है। इतिहासकारों का कहना है कि मोदक का जिक्र रामायण, महाभारत और चरक संहिता जैसे प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। करीब 200 ईसा पूर्व से ये मिठाई बनाई जा रही है। चरक संहिता में इसे सेहत के लिए फायदेमंद बताया गया है। महाराष्ट्र में उकडीचे मोदक सबसे मशहूर है, जो चावल के आटे से बनता है और इसमें नारियल व गुड़ की मीठी भरावन होती है। गर्म मोदक पर घी डालकर खाने का स्वाद ही अलग है।

मोदक का स्वरूप हर जगह अलग है। तमिलनाडु में इसे कोझुकट्टई, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कुदुम, और कर्नाटक में कडुबु कहते हैं। हर राज्य में ये गणेशोत्सव का अहम हिस्सा है। पहले मोदक सिर्फ स्टीम या तलकर बनाए जाते थे, लेकिन अब बाजार में चॉकलेट मोदक, केसर मोदक, मावा मोदक और आइसक्रीम मोदक तक मिलते हैं।

मोदक शब्द संस्कृत के ‘मोदा’ से आया है, जिसका मतलब है खुशी और आनंद। शायद इसलिए इसे गणपति का प्रिय भोग माना जाता है। मान्यता है कि जब भक्त श्रद्धा से मोदक अर्पित करते हैं, तो गणेश जी उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। गणेश चतुर्थी पर हर घर में मोदक बनाए जाते हैं और बप्पा को भोग लगाकर लोग उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।

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