मुंबई

Ghatkopar hoarding incident: कोर्ट ने कहा, ये ‘भगवान की मार’ नहीं, पूर्व डायरेक्टर की जमानत याचिका खारिज

मुंबई होर्डिंग हादसे की जांच के लिए हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति गठित
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Ghatkopar hoarding incident: घाटकोपर में होर्डिंग गिरने की घटना को ‘भगवान की मार’ नहीं माना जा सकता। सेशंस कोर्ट ने ये टिप्पणी करते हुए विज्ञापन कंपनी के पूर्व डायरेक्टर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। जानकारी हो कि इस हादसे में 17 लोगों की मौत हो गई थी।

जांच में सहयोग नहीं कर रही आरोपी
कोर्ट ने कहा कि आरोपी जान्हवी मराठे जांच में सहयोग नहीं कर रही हैं, इसलिए उनकी हिरासत में पूछताछ जरूरी है। जान्हवी मराठे उस ईगो मीडिया प्राइवेट लिमिटेड की पूर्व डायरेक्टर हैं, जिसने ये हादसे वाला होर्डिंग लगाया था।

31 मई को खारिज हुई थी जमानत याचिका
सेशंस कोर्ट ने 31 मई को मराठे की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने अपने विस्तृत आदेश में कहा कि मराठे फरार थीं और जांच में सहयोग नहीं कर रही थीं। इसलिए उनका ये कहना कि वो जांच में सहयोग करेंगी, स्वीकार नहीं किया जा सकता।

तूफानी हवाओं के कारण नहीं गिरा होर्डिंग
कोर्ट ने बचाव पक्ष की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि होर्डिंग तेज हवाओं के कारण गिरा था और इसमें किसी इंसान की गलती नहीं है। मराठे की भूमिका पर कोर्ट ने कहा कि दिसंबर 2023 में इस्तीफा देने के बावजूद उन्हें अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त नहीं किया जा सकता। वो होर्डिंग लगाने से लेकर उसके संचालन तक कंपनी की डायरेक्टर थीं।

स्ट्रक्चरल इंजीनियर ने बिना जांच किए दिया था सर्टिफिकेट
कोर्ट ने अभियोजन पक्ष की इस दलील को स्वीकार किया कि स्ट्रक्चरल इंजीनियर मनोज रामकृष्ण ने होर्डिंग को स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट बिना साइट पर जाए या कोई निरीक्षण किए ही दे दिया था। उन्होंने ये सर्टिफिकेट गिरफ्तार आरोपी और ईगो मीडिया के मालिक भावेश भिड़े के कहने पर जारी किया था।

रेलवे की जमीन पर नहीं लगा था होर्डिंग
कोर्ट ने इस दलील को भी खारिज कर दिया कि होर्डिंग रेलवे की जमीन पर लगाया गया था। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने जमीन के मालिकाना हक के रिकॉर्ड पेश किए हैं, जो ‘गृह विभाग पुलिस मुख्यालय’ के नाम पर है।

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