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Government Revenue from Liquor Sales: शराब की एक बोतल बेचने पर कितना कमाती है सरकार, नहीं जानते होंगे आप

Government Revenue from Liquor Sales: शराब की एक बोतल बेचने पर कितना कमाती है सरकार, नहीं जानते होंगे आप

Government Revenue from Liquor Sales: शराब, जो आमतौर पर एक सामान्य पेय के रूप में देखी जाती है, असल में राज्यों की अर्थव्यवस्था का बड़ा सहारा है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि शराब की एक बोतल बेचने पर सरकार को कितना मुनाफा होता है? या क्यों शराबबंदी का फैसला किसी भी सरकार के लिए इतना कठिन होता है?

इस लेख में, हम इस बात को समझने की कोशिश करेंगे कि शराब की बिक्री से सरकार की कमाई का गणित क्या है और यह राज्यों के राजस्व में कैसे योगदान करती है।


शराब पर सरकार की कमाई का गणित

शराब की बिक्री पर सरकारें कई तरह के टैक्स लगाती हैं, जैसे:

  • आबकारी कर (Excise Duty)
  • स्पेशल सेस (Special Cess)
  • ट्रांसपोर्ट फीस
  • लेबल चार्ज
  • रजिस्ट्रेशन फीस

इन सभी टैक्स का जोड़ राज्यों के लिए एक स्थिर आय का स्रोत बनता है। उदाहरण के लिए, यदि आप 1000 रुपये की शराब की बोतल खरीदते हैं, तो इसमें से 35% से 50% तक की राशि टैक्स के रूप में सरकार को जाती है। यानी, 1000 रुपये की बोतल पर सरकार को करीब 350-500 रुपये का मुनाफा होता है।


राज्यों की अर्थव्यवस्था में शराब का योगदान

शराब की बिक्री से होने वाली आय कई राज्यों की अर्थव्यवस्था का मुख्य हिस्सा है।

  • उत्तर प्रदेश: वित्तीय वर्ष 2022-23 में, उत्तर प्रदेश ने शराब की बिक्री से 41,250 करोड़ रुपये का राजस्व कमाया।
  • कर्नाटक और महाराष्ट्र: ये राज्य भी आबकारी कर (Excise Collection) के मामले में शीर्ष पर हैं।
  • राष्ट्रीय आंकड़े: 2020-21 में, भारत सरकार ने आबकारी कर से लगभग 1,75,000 करोड़ रुपये कमाए।

ये आंकड़े दिखाते हैं कि शराब का कारोबार राज्यों के लिए न केवल स्थिर आय का स्रोत है, बल्कि विकास योजनाओं के लिए भी जरूरी है। यही वजह है कि शराबबंदी जैसे कदम उठाने से पहले सरकार को बार-बार सोचना पड़ता है।


हर राज्य का अलग टैक्स सिस्टम

भारत में शराब की कीमतें राज्यों के हिसाब से अलग होती हैं। इसका कारण है कि हर राज्य शराब पर अलग टैक्स लगाता है।

  • महंगे राज्य: कुछ राज्यों में शराब महंगी होती है, क्योंकि वहां टैक्स की दरें अधिक होती हैं।
  • सस्ते राज्य: गोवा जैसे राज्यों में शराब सस्ती होती है क्योंकि टैक्स की दरें कम हैं।

इसके अलावा, राज्य सरकारें शराब पर स्पेशल सेस (Special Cess) और अन्य चार्ज भी लगाती हैं, जिससे इसकी कीमत और बढ़ जाती है।


शराबबंदी: सरकार की मुश्किलें

शराबबंदी का फैसला करना किसी भी सरकार के लिए आसान नहीं होता। इसका मुख्य कारण यह है कि शराब की बिक्री से आने वाली आय कई राज्यों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करती है।

  1. आर्थिक नुकसान: यदि शराब की बिक्री पर रोक लगाई जाती है, तो सरकार को बड़ा राजस्व घाटा होता है।
  2. योजनाओं पर असर: इस राजस्व के बिना शिक्षा, स्वास्थ्य, और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी सेवाओं में कटौती करनी पड़ सकती है।

उदाहरण के लिए, बिहार जैसे राज्यों में शराबबंदी लागू है, लेकिन इसके चलते वहां सरकार को बड़े वित्तीय नुकसान का सामना करना पड़ा है।


शराब और टैक्स का जाल

शराब की बिक्री से होने वाली कमाई न केवल राज्यों की अर्थव्यवस्था को मजबूती देती है, बल्कि इससे विकास योजनाओं को भी फंड मिलता है। हालांकि, शराब का सेवन स्वास्थ्य और सामाजिक दृष्टिकोण से नुकसानदायक हो सकता है, लेकिन इसके बिना राज्यों की वित्तीय स्थिति पर गहरा असर पड़ सकता है।

इसलिए, यह कहना गलत नहीं होगा कि शराब की एक बोतल सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि राज्यों की अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।

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