जम्मू-कश्मीर की राजनीति में चुनाव से पहले एक नया मोड़ आया है। बारामुल्ला के सांसद राशिद इंजीनियर के जेल से बाहर आने के बाद राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। उनकी रिहाई ने महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला की टेंशन को बढ़ा दिया है। आइए जानते हैं कि कैसे राशिद की आवामी इत्तेहाद पार्टी (AIP) जम्मू-कश्मीर की राजनीति में बड़ी भूमिका निभाने जा रही है।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव: राशिद इंजीनियर की वापसी
जम्मू-कश्मीर में करीब 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, और इस बार की चुनावी जंग बेहद दिलचस्प हो चुकी है। हाल ही में आतंकी फंडिंग के मामले में जेल में बंद बारामुल्ला के सांसद राशिद इंजीनियर को जमानत मिल गई, जिससे राजनीतिक माहौल गरमा गया है। जेल से बाहर आते ही राशिद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘नया कश्मीर’ के सपने पर सवाल उठाए और कहा कि यह कभी पूरा नहीं हो सकेगा।
आवामी इत्तेहाद पार्टी (AIP), जो कि राशिद इंजीनियर की पार्टी है, इस चुनाव में प्रमुख भूमिका निभाने जा रही है। राशिद ने कहा कि लोग एकजुट होकर न्याय के लिए लड़ेंगे और इस बार का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है।
महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला क्यों हैं परेशान?
महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी और राशिद की आवामी इत्तेहाद पार्टी (AIP) के बीच इस चुनाव में कोई तालमेल नहीं बनता दिख रहा है। हाल ही में महबूबा ने राशिद पर निशाना साधते हुए कहा था कि एक व्यक्ति जो जेल में बंद है, वह चुनाव लड़ रहा है, जबकि गरीब लोगों के परिवारों को अपने जेल में बंद परिजनों से मिलने की अनुमति नहीं मिल रही है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला की चिंता इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि लोकसभा चुनाव में राशिद ने बारामुल्ला सीट से उमर को हराया था। अब, विधानसभा चुनावों में राशिद की पार्टी का बढ़ता कद पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस, दोनों के लिए चुनौती बन सकता है।
राशिद इंजीनियर: जनता की सहानुभूति और AIP का बढ़ता प्रभाव
राशिद इंजीनियर की लोकप्रियता इस विधानसभा चुनाव में उनकी सबसे बड़ी ताकत साबित हो सकती है। जनता की सहानुभूति उनके साथ है क्योंकि वे लंबे समय से जेल में बंद थे। राशिद की पार्टी आवामी इत्तेहाद पार्टी (AIP) ने अपने घोषणापत्र में वादा किया है कि वे सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई करेंगे और PSA (Public Safety Act) तथा USPA (Unlawful Activities Prevention Act) जैसे कठोर कानूनों को खत्म करेंगे।
राशिद के भाई खुर्शीद अहमद शेख, जो सरकारी टीचर थे, ने नौकरी छोड़कर चुनावी मैदान में कदम रखा है। अगर इस बार के चुनाव में आवामी इत्तेहाद पार्टी (AIP) घाटी की 20 सीटें जीतने में कामयाब होती है, तो यह पार्टी जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक बड़ी शक्ति बनकर उभरेगी। यह नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।
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