आज के समय में स्वास्थ्य बीमा हर व्यक्ति की जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गया है। बीमारी के समय इलाज का खर्च उठाना आसान नहीं होता, और यही वजह है कि लोग स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance) की ओर रुख कर रहे हैं। लेकिन कई बार बीमा कंपनियों की लंबी प्रक्रियाएं और दावों में देरी मरीजों के लिए परेशानी का सबब बन जाती हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए केंद्र सरकार एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। अब स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को कैशलेस उपचार की मंजूरी एक घंटे में और अंतिम दावा निपटान तीन घंटे में करना अनिवार्य होगा। यह बदलाव स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance) को और भी सुलभ और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस नई पहल का लक्ष्य है कि 2047 तक देश का हर नागरिक किफायती और सुलभ स्वास्थ्य बीमा की सुविधा का लाभ उठा सके। सरकार का मानना है कि बीमा प्रक्रिया को तेज और जवाबदेह बनाकर मरीजों और उनके परिवारों पर इलाज के दौरान पड़ने वाला मानसिक और आर्थिक दबाव कम किया जा सकता है। अक्सर देखा गया है कि कैशलेस उपचार की मंजूरी में देरी या दावों की अस्वीकृति के कारण मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई बार तो पूरी तरह वैध दावों को भी खारिज कर दिया जाता है, जिससे लोगों का बीमा कंपनियों पर भरोसा कम होता है। इस स्थिति को बदलने के लिए सरकार नए नियम लागू करने की तैयारी में है, जो बीमा प्रणाली को अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनाएंगे।
इस बदलाव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है सभी अस्पतालों में एकसमान फॉर्म और आवेदन पत्रों का इस्तेमाल। अभी अलग-अलग अस्पतालों में अलग-अलग प्रक्रियाएं और दस्तावेजों की मांग होती है, जिससे दावा प्रक्रिया जटिल और समय लेने वाली हो जाती है। अब एक पेशेवर एजेंसी की मदद से इन फॉर्म्स को मानकीकृत किया जाएगा। इससे न केवल प्रक्रिया सरल होगी, बल्कि दावों की मंजूरी और निपटान में भी तेजी आएगी। मिसाल के तौर पर, अगर कोई मरीज दिल्ली के किसी अस्पताल में भर्ती होता है और उसका बीमा दावा मुंबई की कंपनी के पास जाता है, तो एकसमान फॉर्म होने से दोनों जगह की प्रक्रिया में सामंजस्य रहेगा। यह छोटा-सा बदलाव कैशलेस बीमा सुविधा (Cashless Insurance Facility) को और प्रभावी बनाएगा।
सरकार डिजिटल तकनीक के इस्तेमाल पर भी जोर दे रही है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य दावा एक्सचेंज नामक एक डिजिटल मंच के जरिए बीमा प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाने की योजना है। इस मंच पर मरीज और अस्पताल दोनों ही दावा प्रक्रिया को रियल-टाइम में ट्रैक कर सकेंगे। मान लीजिए, आप किसी अस्पताल में भर्ती हैं और आपका कैशलेस दावा प्रक्रिया में है। इस डिजिटल सिस्टम के जरिए आप हर कदम की जानकारी अपने फोन पर देख सकेंगे। इससे न केवल प्रक्रिया तेज होगी, बल्कि मरीजों को यह भी पता रहेगा कि उनका दावा कहां अटका है। स्वास्थ्य प्राधिकरण और बीमा नियामक इस दिशा में मिलकर काम कर रहे हैं, ताकि यह सिस्टम जल्द से जल्द लागू हो सके।
बीमा विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सर्जरी की दरें और जरूरी दस्तावेज पूरे देश में एकसमान हों, तो दावा प्रक्रिया को और तेज किया जा सकता है। हाल के आंकड़े बताते हैं कि 2023 में स्वास्थ्य बीमा दावों का औसत आकार 11.35% बढ़ा है। यह बढ़ोतरी चिकित्सा लागत और मुद्रास्फीति में वृद्धि का परिणाम है। भारत में इस समय 26 सामान्य बीमा कंपनियां, दो विशेष बीमाकर्ता, और सात स्वतंत्र स्वास्थ्य बीमा कंपनियां हैं, जबकि अस्पतालों की संख्या लगभग दो लाख है। इतनी बड़ी संख्या के बावजूद बीमा प्रक्रिया में एकरूपता का अभाव है। नए नियम इस असमानता को दूर करने और मरीजों को त्वरित सेवा प्रदान करने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं।
यह बदलाव नई पीढ़ी के लिए खास तौर पर फायदेमंद होंगे, जो डिजिटल और तेज सेवाओं की उम्मीद रखते हैं। आज का युवा वर्ग चाहता है कि बीमा प्रक्रिया उतनी ही सरल और तेज हो, जितना ऑनलाइन शॉपिंग या मोबाइल ऐप का इस्तेमाल। सरकार का यह प्रयास कैशलेस बीमा सुविधा (Cashless Insurance Facility) को और भी विश्वसनीय और उपयोगी बनाएगा। मरीजों को अब लंबे इंतजार और अनिश्चितता का सामना नहीं करना पड़ेगा।
HealthInsurance #CashlessInsurance #HealthcareReforms #InsuranceClaims #DigitalHealthcare
ये भी पढ़ें: Digital Rakshak: ‘डिजिटल रक्षक’ मुंबई पुलिस की साइबर अपराध के खिलाफ 24×7 हेल्पलाइन