भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक नई रिपोर्ट जारी की है जिससे पता चलता है कि हिमालय की ग्लेशियर झीलें तेज़ी से बढ़ रही हैं। ये खबर चिंता पैदा कर रही है क्योंकि इन झीलों के अचानक फटने से बड़ा खतरा हो सकता है।
ग्लेशियर झीलें क्या होती हैं?
जब ग्लेशियर यानी बर्फ की विशाल चट्टानें पिघलती हैं, तो कई बार बड़े-बड़े गड्ढों में पानी इकट्ठा हो जाता है। इस तरह ग्लेशियर झीलें बनती हैं। ये झीलें नदियों के लिए पानी का स्त्रोत तो हैं, लेकिन अगर ये अचानक फट जाएं तो बाढ़ जैसी स्थिति बन सकती है।
इसरो ने क्या बताया?
इसरो ने पिछले कई सालों की सैटेलाइट तस्वीरों को देखकर पता लगाया है कि हिमालय में बहुत-सी ग्लेशियर झीलें तेज़ी से बड़ी हो रही हैं। इनमें से कई झीलों का आकार कई गुना बढ़ चुका है।
ये खतरे की घंटी क्यों है?
अगर ये झीलें फटती हैं, तो नीचे के इलाकों में रहने वाले लोगों, गांवों, और शहरों को बड़ा नुकसान हो सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज) की वजह से ये खतरा पहले से कहीं ज़्यादा हो गया है।
झीलों की निगरानी कैसे हो रही है?
इन झीलों के पास जाना बहुत मुश्किल है, इसलिए इसरो सैटेलाइट से इन पर नज़र रख रहा है। सैटेलाइट की तस्वीरों से वैज्ञानिक पता लगा सकते हैं कि कौन सी झीलें खतरनाक हो सकती हैं। इसके बाद वहां जाकर और भी जांच की जा सकती है।
क्या किया जा सकता है?
कुछ हद तक इन झीलों का पानी कम किया जा सकता है ताकि खतरा टल सके। इसके अलावा खतरनाक इलाकों में सेंसर भी लगाए जा सकते हैं, जो झील में किसी भी हलचल की खबर तुरंत दे सकें।
इसरो की ये रिपोर्ट बताती है कि पहाड़ों में रहने वाले लोगों के लिए खतरा बढ़ रहा है। हमें ऐसे इलाकों में रहने से पहले पूरी तैयारी करनी होगी।