महाराष्ट्र में स्कूलों में भाषा नीति को लेकर नया बदलाव लागू किया गया है। अब मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पांचवीं कक्षा तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा। हालांकि, जिन बच्चों की इच्छा हिंदी के बजाय अन्य भारतीय भाषाएं पढ़ने की हो, उन्हें ये विकल्प चुनने की अनुमति होगी। ये निर्णय 16 अप्रैल 2025 के शासकीय आदेश के तहत लागू किया गया है।
शिक्षा मंत्री का बयान
महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री दादाजी भुसे ने इस नीति पर स्पष्टता दी। उन्होंने कहा कि अगर किसी कक्षा में कम से कम 20 बच्चे हिंदी के बजाय अन्य भाषा पढ़ना चाहते हैं, तो उस भाषा के लिए शिक्षक की व्यवस्था की जाएगी। यदि इतने बच्चे उपलब्ध नहीं हों, तो वो भाषा ऑनलाइन पढ़ाई जाएगी। ये कदम बच्चों को उनकी पसंद की भाषा सीखने की आजादी देता है।
मराठी भाषा अनिवार्य, कार्रवाई की चेतावनी
शिक्षा विभाग ने साफ किया है कि सभी स्कूलों में मराठी भाषा अनिवार्य होगी। जो स्कूल मराठी नहीं पढ़ाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह नियम मराठी, अंग्रेजी और अन्य माध्यम के स्कूलों पर लागू होगा। पांचवीं कक्षा तक मराठी, अंग्रेजी और माध्यम भाषा (या हिंदी/अन्य भारतीय भाषा) पढ़ाई जाएगी। छठी से दसवीं कक्षा तक की भाषा नीति राज्य पाठ्यक्रम के अनुसार होगी।
राज ठाकरे का विरोध
मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने इस नीति का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को दो पत्र लिखकर हिंदी को अनिवार्य बनाने का विरोध किया था। ठाकरे ने सवाल उठाया कि जब गैर-हिंदी भाषी राज्यों जैसे गुजरात में गणित, अंग्रेजी और गुजराती जैसे विकल्प दिए गए हैं, तो महाराष्ट्र में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में क्यों थोपा जा रहा है?
उन्होंने स्पष्ट किया कि वह हिंदी के खिलाफ नहीं हैं और इसका सम्मान करते हैं, लेकिन महाराष्ट्र में हिंदी को अनिवार्य करने से मराठी शिक्षा का महत्व कम हो सकता है। ठाकरे ने अभिभावकों से इस नीति का विरोध करने की अपील की है।
महाराष्ट्र की नई भाषा नीति ने हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में शामिल करने का प्रयास किया है, लेकिन बच्चों को अन्य भारतीय भाषाएं चुनने की छूट भी दी गई है। हालांकि, मराठी भाषा की अनिवार्यता और राज ठाकरे के विरोध ने इस मुद्दे को चर्चा का विषय बना दिया है। यह नीति शिक्षा और संस्कृति के बीच संतुलन बनाने की कोशिश है, लेकिन इसका प्रभाव भविष्य में स्कूलों और अभिभावकों के रवैये पर निर्भर करेगा।