Historical Discoveries of Sambhal: उत्तर प्रदेश का संभल हाल ही में ऐतिहासिक और पौराणिक खोजों की वजह से चर्चा में है। यहां की नई खोजें, जैसे ‘मृत्यु का कूप’ और एक प्राचीन बावड़ी, न केवल स्थानीय लोगों को आकर्षित कर रही हैं, बल्कि इतिहासकारों और पुरातत्वविदों के लिए भी शोध का नया केंद्र बन गई हैं। इन अनमोल धरोहरों ने एक बार फिर संभल को इतिहास और पौराणिकता के पन्नों में जीवंत कर दिया है।
संभल का नाम भारतीय पौराणिक कथाओं और ऐतिहासिक दस्तावेजों में एक अहम स्थान रखता है। इसे प्राचीन काल में तीर्थों का केंद्र माना जाता था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, 84 कौसी परिक्रमा मार्ग में 68 तीर्थों और 19 कूपों का उल्लेख मिलता है। समय के साथ ये स्थान धूल और मिट्टी में दब गए, लेकिन स्थानीय लोगों और पुरातात्विक विभाग के प्रयासों से अब इन्हें फिर से उजागर किया जा रहा है।
हाल ही में खुदाई के दौरान एक रहस्यमयी कुआं मिला है, जिसे ‘मृत्यु का कूप’ कहा जा रहा है। यह कूप धार्मिक और ऐतिहासिक दोनों दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। स्थानीय लोग इसे पुण्य का स्रोत मानते हैं और बड़ी संख्या में इसे देखने पहुंच रहे हैं। वहीं, कुछ लोग इसे इतिहास का जीता-जागता हिस्सा कह रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस कूप के पास एक प्राचीन मंदिर होने का भी दावा किया गया है। हालांकि, खुदाई पूरी होने के बाद ही इस दावे की सच्चाई सामने आ पाएगी।
संभल की दूसरी बड़ी खोज ‘रानी की बावड़ी’ है, जो चंदौसी के खग्गू सराय इलाके में मिली। यह बावड़ी एक जटिल संरचना है, जिसमें कई सुरंगें पाई गई हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि ये सुरंगें 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इस्तेमाल की गई होंगी। हालांकि, पुरातत्व विभाग अभी इसकी जांच कर रहा है और यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि ये सुरंगें इतिहास से जुड़ी हैं या पानी की पुरानी पाइपलाइन का हिस्सा हैं। यह खोज न केवल रोमांचक है, बल्कि इसे संरक्षित करने की भी आवश्यकता है।
संभल का एक और बड़ा ऐतिहासिक पहलू शाही जामा मस्जिद से जुड़ा है। इसे लेकर यह दावा किया जाता है कि यह मस्जिद एक प्राचीन मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। इतिहासकार मीनाक्षी जैन और श्री राम शर्मा के शोध में यह बात सामने आई है कि यह मस्जिद बाबर के आदेश पर बनाई गई थी। मीनाक्षी जैन ने अपनी किताब ‘द बैटल फॉर राम: केस ऑफ द टेंपल एट अयोध्या’ में लिखा है कि इस मस्जिद के निर्माण में मंदिर के अवशेषों का उपयोग किया गया था। माना जाता है कि 1529 में बाबर ने अपने सेनापति हिंदू बेग को मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का आदेश दिया था। यह विवाद न केवल इतिहास के सवालों को उठाता है, बल्कि हमारी धरोहर को सही तरीके से संरक्षित करने की जरूरत को भी उजागर करता है।
इन खोजों ने संभल को धार्मिक और ऐतिहासिक पर्यटन स्थल के रूप में उभरने का मौका दिया है। प्रशासन का कहना है कि ये खोजें संभल के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को सामने लाती हैं। सरकार यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं बना रही है।
संभल की इन खोजों ने यह साबित किया है कि भारत का इतिहास अब भी कई रहस्यों से भरा हुआ है। ‘मृत्यु का कूप,’ ‘रानी की बावड़ी,’ और मस्जिद-मंदिर विवाद जैसी खोजें हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर की गहराई को दिखाती हैं। इन अनमोल धरोहरों का संरक्षण न केवल हमारे अतीत को उजागर करेगा, बल्कि इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए भी संरक्षित करेगा।
संभल का यह पुनर्जागरण इसे न केवल एक ऐतिहासिक केंद्र बनाएगा, बल्कि भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन मानचित्र पर भी एक नई पहचान देगा।
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