मोबाइल फोन आज के समय में हर किसी की जरूरत बन गया है। छोटे से लेकर बड़े, हर कोई अपनी जेब में एक स्मार्टफोन रखना चाहता है। लेकिन इन फोनों की कीमतें कई बार लोगों की पहुंच से बाहर होती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए, हाल ही में पेश किए गए बजट 2024 में स्मार्टफोन और उनके पुर्जों पर लगने वाले टैक्स यानी कस्टम ड्यूटी को कम करने का फैसला लिया गया। सरकार ने इस ड्यूटी को 20 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया है। इस कदम से उम्मीद जताई जा रही थी कि स्मार्टफोन की कीमतें कम होंगी और आम लोगों को फायदा मिलेगा। लेकिन लगता है कि यह उम्मीद अभी पूरी होती नजर नहीं आ रही है।
कस्टम ड्यूटी क्या है और इसका स्मार्टफोन से क्या संबंध है, यह समझना जरूरी है। जब कोई कंपनी दूसरे देश से माल मंगाती है, तो उस पर सरकार टैक्स लगाती है। इसे कस्टम ड्यूटी कहते हैं। कई मोबाइल कंपनियां, जैसे एप्पल और गूगल, अपने फोन या उनके पुर्जे दूसरे देशों से मंगाती हैं। इसलिए उन्हें यह टैक्स देना पड़ता है। जब यह टैक्स कम होता है, तो उम्मीद की जाती है कि कंपनियां अपने फोन सस्ते करेंगी।
लेकिन मोबाइल उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार ऐसा होने की संभावना कम है। उनका मानना है कि कंपनियां इस फायदे को अपने पास ही रख सकती हैं और ग्राहकों को इसका लाभ नहीं दे सकती हैं। इसके पीछे कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण यह है कि पिछले कुछ समय से फोन बनाने के लिए जो कच्चा माल इस्तेमाल होता है, उसकी कीमतें बहुत बढ़ गई हैं। इससे कंपनियों का खर्च पहले से ही बढ़ा हुआ है।
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि सस्ते और मध्यम श्रेणी के फोन बनाने में कंपनियों को बहुत कम मुनाफा मिलता है। इसलिए वे इस छोटी सी राहत को अपने पास रखना चाहेंगी ताकि वे अपना नुकसान कम कर सकें। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सरकार चाहती है कि सस्ते 5जी फोन बाजार में आएं, तो उसे कस्टम ड्यूटी में और भी ज्यादा कटौती करनी होगी।
हालांकि, यह भी सच है कि पिछले कुछ सालों में महंगे फोनों की मांग बढ़ी है। लोग अच्छी क्वालिटी और ज्यादा सुविधाओं वाले फोन खरीदना चाहते हैं। लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में लोग ऐसे हैं जो सस्ते या मध्यम श्रेणी के फोन खरीदना पसंद करते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इस श्रेणी के फोनों की कीमतें कम हों ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग अच्छे स्मार्टफोन खरीद सकें।
एक और दिलचस्प बात यह है कि कई लोगों को उम्मीद थी कि इस बजट में सरकार फोन की कीमत के हिसाब से अलग-अलग टैक्स तय करेगी। मतलब, सस्ते फोन पर कम टैक्स और महंगे फोन पर ज्यादा टैक्स। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अगर ऐसा होता, तो शायद सस्ते 5जी फोन बाजार में आ सकते थे।
एप्पल और गूगल जैसी बड़ी कंपनियों के बारे में भी लोगों के मन में सवाल हैं। क्या आईफोन 15 प्रो या पिक्सल 8 प्रो जैसे महंगे फोन अब सस्ते हो जाएंगे? विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी भी संभावना कम है। ये कंपनियां अपने फोन पूरी तरह से दूसरे देशों से मंगाती हैं, इसलिए उन पर कस्टम ड्यूटी लगती है। लेकिन इतनी कम कटौती से इन महंगे फोनों की कीमत पर खास फर्क नहीं पड़ेगा।
कुल मिलाकर, यह स्पष्ट है कि सिर्फ कस्टम ड्यूटी में कटौती से स्मार्टफोन की कीमतें कम होने की गारंटी नहीं है। इसके लिए कई और कदम उठाने की जरूरत है। जैसे, फोन बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की कीमतों को नियंत्रित करना, सस्ते और मध्यम श्रेणी के फोन बनाने वाली कंपनियों को और अधिक प्रोत्साहन देना, और शायद फोन की कीमत के हिसाब से अलग-अलग टैक्स लगाना।
यह भी ध्यान देने वाली बात है कि मोबाइल फोन उद्योग बहुत तेजी से बदल रहा है। नई तकनीकें आ रही हैं, लोगों की मांगें बदल रही हैं। ऐसे में सरकार और कंपनियों दोनों को लगातार नए तरीके सोचने होंगे ताकि अच्छी क्वालिटी के फोन सभी लोगों की पहुंच में आ सकें।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि बजट में की गई कस्टम ड्यूटी में कटौती एक अच्छा कदम है, लेकिन यह काफी नहीं है। स्मार्टफोन की कीमतों में वास्तविक कमी लाने के लिए और भी कई कदम उठाने की जरूरत है। तब तक, शायद हमें अपने पसंदीदा स्मार्टफोन के लिए थोड़ा और इंतजार करना पड़ सकता है।
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