नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के लागू होने के बाद पहली बार 14 शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई है। यह एक ऐतिहासिक घटना है क्योंकि यह CAA के तहत नागरिकता प्रदान करने का पहला उदाहरण है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इन 14 शरणार्थियों को नागरिकता के प्रमाण पत्र जारी किए हैं।
नागरिकता प्राप्त करने वाले ये शरणार्थी पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हैं। उन्हें अपने मूल देशों में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था, जिसके कारण वे भारत आ गए थे। इन शरणार्थियों में हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों के लोग शामिल हैं।
नागरिकता संशोधन कानून के नियम 11 मार्च, 2024 को अधिसूचित किए गए थे। इस कानून के तहत, जो लोग 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ गए थे, उन्हें नागरिकता दी जा सकती है। शरणार्थियों को एक ऑनलाइन पोर्टल पर नागरिकता के लिए आवेदन करना होता है। इसके बाद, जिला स्तरीय समिति (DLC) और राज्य स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति (EC) द्वारा आवेदनों की जांच की जाती है और नागरिकता प्रदान की जाती है।
इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक गारंटी की पूर्ति बताया है। उन्होंने कहा कि यह दशकों के इंतजार के बाद शरणार्थियों के लिए नागरिकता प्राप्त करने का दिन है।
शाह के अनुसार, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने शरणार्थियों को नागरिकता देने का वादा किया था। आज उनकी गारंटी पूरी हुई है। मैं उन सभी शरणार्थियों को बधाई देता हूं जिन्होंने आज भारतीय नागरिकता प्राप्त की है।”
इस तरह, CAA के तहत पहली बार नागरिकता प्रदान करने की घटना ने उन शरणार्थियों के लिए एक नई उम्मीद और भारत में एक नई शुरुआत का द्वार खोला है, जो धार्मिक उत्पीड़न के कारण अपने मूल देशों से भारत आए थे।
ये भी पढ़ें: मोदी का कांग्रेस पर आरोप- बजट का धर्म आधारित बंटवारा करना चाहती है