India Dependency on Imports: भारत को आजाद हुए 79 साल हो चुके हैं। इस दौरान देश ने कई क्षेत्रों में जबरदस्त तरक्की की है, लेकिन कुछ जरूरी चीजों के लिए भारत आज भी विदेशों पर निर्भर है। सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू किया है, फिर भी कुछ चीजें ऐसी हैं, जिनके लिए हमें दूसरे देशों से मदद लेनी पड़ती है।
सबसे पहले बात सेमीकंडक्टर चिप्स की। ये चिप्स स्मार्टफोन, कंप्यूटर और रक्षा उपकरणों का दिल हैं। लेकिन भारत इनके लिए ताइवान, दक्षिण कोरिया और अमेरिका पर निर्भर है। गौतम अडानी ने हाल ही में कहा था कि भारत अपनी 90% सेमीकंडक्टर जरूरतें आयात करता है। अगर इनकी सप्लाई में जरा सी रुकावट आए, तो हमारी डिजिटल अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ सकता है। सरकार ने सेमीकंडक्टर मिशन शुरू किया है, लेकिन अभी इसका असर दिखने में वक्त लगेगा।
रक्षा उपकरणों में भी भारत को विदेशों की जरूरत पड़ती है। स्वदेशी तेजस विमान और मिसाइलों में हमने प्रगति की है, लेकिन उन्नत फाइटर जेट इंजन, रडार और हाई-टेक हथियारों के लिए हम रूस, अमेरिका, फ्रांस और इजरायल पर निर्भर हैं। मिसाल के तौर पर, राफेल विमान फ्रांस से आए हैं, और कई मिसाइल सिस्टम के लिए रूस और इजरायल की तकनीक चाहिए होती है।
ऊर्जा के मामले में भी भारत को बाहर देखना पड़ता है। कच्चा तेल रूस, सऊदी अरब, इराक और संयुक्त अरब अमीरात से आता है। प्राकृतिक गैस के लिए भी रूस और कतर जैसे देशों से आयात होता है। हरित ऊर्जा की दिशा में भारत तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन तेल और गैस की जरूरत अभी भी एक बड़ी चुनौती है।
दवाइयों के मामले में भारत को ‘विश्व की फार्मेसी’ कहा जाता है, लेकिन दवाओं के कच्चे माल के लिए हम चीन पर बहुत हद तक निर्भर हैं। कोविड-19 ने इस कमी को सबके सामने ला दिया। इसके बाद भारत ने स्वदेशी कच्चा माल बनाने पर काम शुरू किया है, लेकिन अभी पूरी तरह आत्मनिर्भरता नहीं मिली है।
उन्नत मशीनरी और तकनीक के लिए भी भारत को जर्मनी, जापान और अमेरिका जैसे देशों की जरूरत पड़ती है। ऑटोमोबाइल, मेडिकल उपकरण जैसे एमआरआई मशीन और भारी मशीनरी के लिए हम विदेशी तकनीक पर निर्भर हैं। सरकार आत्मनिर्भर भारत के तहत इन क्षेत्रों में स्वदेशीकरण को बढ़ावा दे रही है, लेकिन अभी भी कई कदम उठाने बाकी हैं।
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