नवी मुंबई महानगरपालिका (NMMC) ने 30 साल से ज़्यादा पुरानी इमारतों के लिए स्ट्रक्चरल ऑडिट (जांच) अनिवार्य कर दिया है। अगर कोई सोसाइटी या कमर्शियल बिल्डिंग इस नियम को नहीं मानती है, तो किसी भी हादसे के लिए सोसाइटी के सेक्रेटरी या प्रेसिडेंट को ज़िम्मेदार माना जाएगा। लेकिन, लोगों का आरोप है कि ये बिल्डरों और अधिकारियों के बीच की सांठगांठ है।
NMMC के अनुसार, 30 साल पुरानी इमारतों में कोई भी मरम्मत का काम शुरू करने से पहले सर्टिफाइड इंजीनियर से स्ट्रक्चरल ऑडिट करवाना और NMMC से अनुमति लेना ज़रूरी है।
लोगों का क्या कहना है?
नवी मुंबई कांग्रेस के प्रवक्ता रविंद्र सावंत और कुछ निवासियों का मानना है कि ये बिल्डरों को फायदा पहुंचाने की चाल है। उनका आरोप है कि अधिकारी किसी इमारत को खतरनाक घोषित करके उसके रीडेवलपमेंट का रास्ता खोलना चाहते हैं, ताकि बिल्डरों को फायदा हो।
NMMC का पक्ष
NMMC का कहना है कि ये नियम इसलिए लाया गया है ताकि बिल्डिंग गिरने जैसी दुर्घटनाओं को रोका जा सके। उनका तर्क है कि 30 साल से पुरानी इमारतों की समय-समय पर जांच होना ज़रूरी है, और अक्सर सोसाइटियां बिना जांच कराए मरम्मत शुरू कर देती हैं।
NMMC का इरादा शायद नेक है, लेकिन लोगों के शक भी गलत नहीं हो सकते। नवी मुंबई में अक्सर बिल्डर लॉबी का ज़ोर रहता है और कई बार अवैध निर्माण और जबरन रीडेवलपमेंट के मामले देखे गए हैं। NMMC ने पहले ही शहर में खतरनाक इमारतों की एक सूची जारी कर दी है।
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