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Limits on Alimony After Divorce: तलाक के बाद पत्नी मांग सकती है कितना गुजारा भत्ता? सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी से सेट कर दी लिमिट!

Limits on Alimony After Divorce: तलाक के बाद पत्नी मांग सकती है कितना गुजारा भत्ता? सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी से सेट कर दी लिमिट!

Limits on Alimony After Divorce: जब किसी शादी में रिश्ते बिगड़ जाते हैं और तलाक का मामला अदालत तक पहुंचता है, तो सबसे बड़ा सवाल होता है कि पत्नी को कितना गुजारा भत्ता (Alimony) मिलेगा। “गुजारा भत्ता का प्रावधान” (Provision of Alimony) और “सुप्रीम कोर्ट का नया फैसला” (Supreme Court’s New Ruling) इस मामले में चर्चा का केंद्र रहे हैं।

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक तलाक के मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए यह साफ किया है कि गुजारा भत्ता का उद्देश्य पत्नी को सम्मानपूर्वक जीवन जीने में मदद करना है, न कि पति को दंडित करना।

क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?

सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस बीवी नागरत्ना और पंकज मिथल शामिल थे, ने यह फैसला सुनाया। बेंच ने कहा कि गुजारा भत्ता का उद्देश्य पत्नी को आर्थिक तंगी से बचाना, उसकी गरिमा बनाए रखना और सामाजिक न्याय प्रदान करना है।

बेंच ने कहा, “गुजारा भत्ता का कानून यह सुनिश्चित करता है कि पत्नी उसी तरह की जिंदगी जी सके, जैसा वह शादी के दौरान अपने पति के साथ रहकर जीती थी। लेकिन, पति से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह जीवन भर अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार पत्नी की जरूरतों को पूरा करता रहे।”

क्या कहा गया संपत्ति के बराबर भरण-पोषण की मांग पर?

इस मामले में, एक महिला ने अपनी संपत्ति और भरण-पोषण की मांग को अपने अमीर पति की संपत्ति के बराबर रखने की कोशिश की। सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया और कहा कि ऐसी मांगें कानून के उद्देश्यों के खिलाफ हैं।

बेंच ने यह भी कहा, “अगर पति तलाक के बाद कंगाल हो जाए, तो क्या पत्नी उसी तरह से संपत्ति के बराबर भरण-पोषण की मांग करेगी? महिलाओं को समझना चाहिए कि सख्त कानूनी प्रावधान उनके कल्याण के लिए हैं, न कि पतियों को धमकाने या दंडित करने के लिए।”

तलाक के मामलों में गुजारा भत्ता की सीमाएं

सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि:

  • गुजारा भत्ता का उद्देश्य पत्नी को जीवन यापन के लिए मदद देना है।
  • यह पति की संपत्ति के बराबर मांगने का माध्यम नहीं हो सकता।
  • अगर पति की आर्थिक स्थिति तलाक के बाद बेहतर हो जाती है, तो पत्नी को उसी स्तर का भरण-पोषण देने की अपेक्षा रखना उचित नहीं है।

गुजारा भत्ता से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

  1. पति को अपनी आर्थिक स्थिति के हिसाब से पत्नी का भरण-पोषण करना होता है।
  2. अदालत हर मामले को अलग-अलग देखती है और फैसला सुनाती है।
  3. महिला को भरण-पोषण तभी मिलता है, जब वह आर्थिक रूप से कमजोर हो या खुद की देखभाल करने में सक्षम न हो।

“गुजारा भत्ता का प्रावधान” (Provision of Alimony) और “सुप्रीम कोर्ट का नया फैसला” (Supreme Court’s New Ruling) यह साफ करते हैं कि तलाक के बाद भरण-पोषण का उद्देश्य पति और पत्नी दोनों के अधिकारों का संतुलन बनाए रखना है। यह फैसला एक संदेश है कि कानून का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए और इसे सम्मान के साथ लागू किया जाना चाहिए।


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