धारावी, जिसे एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती माना जाता है, मुंबई के बीचो-बीच स्थित है। यह इलाका 259 हेक्टेयर में फैला हुआ है। इसे नए रूप में विकसित करने के लिए “धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट” (Dharavi Redevelopment Project) की शुरुआत की गई। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य धारावी के निवासियों को बेहतर जीवन देने के साथ-साथ आधुनिक ढांचे का निर्माण करना है।
अदाणी ग्रुप को मिला प्रोजेक्ट
2022 में, इस प्रोजेक्ट के लिए टेंडर प्रक्रिया आयोजित की गई थी। अदाणी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड ने इस टेंडर के लिए सबसे बड़ी बोली लगाई, जो 5,069 करोड़ रुपये थी। “धारावी प्रोजेक्ट में अदाणी की जीत” (Adani’s Win in Dharavi Project) को लेकर काफी चर्चा हुई।
याचिका और कोर्ट का फैसला
यूएई स्थित सेकलिंक टेक्नोलॉजीज कॉरपोरेशन ने इस टेंडर प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की। उनका दावा था कि 2018 के पुराने टेंडर को रद्द करके 2022 का नया टेंडर लाना गलत था।
हालांकि, बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को इस याचिका को खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने कहा कि याचिका में दिए गए तर्क पर्याप्त नहीं थे। कोर्ट ने राज्य सरकार और अदाणी ग्रुप के फैसले को सही ठहराया।
अदाणी ग्रुप का योगदान
अदाणी ग्रुप ने धारावी के विकास के लिए महत्वाकांक्षी योजना बनाई है। इस प्रोजेक्ट का मकसद धारावी को न केवल एक बेहतर आवासीय क्षेत्र में बदलना है, बल्कि इसे आधुनिक सुविधाओं से लैस करना भी है।
धारावी के भविष्य पर असर
“धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट” (Dharavi Redevelopment Project) मुंबई के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। यह न केवल वहां के निवासियों को बेहतर जिंदगी देगा, बल्कि मुंबई के आर्थिक और सामाजिक ढांचे को भी मजबूत करेगा।
अदाणी ग्रुप को प्रोजेक्ट मिलने के बाद धारावी का विकास नए आयाम पर पहुंच सकता है। कोर्ट का यह फैसला परियोजना के लिए सकारात्मक संकेत है और अब उम्मीद है कि धारावी के लोग जल्द ही बदलाव देखेंगे।
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