मुंबई: लोकसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन के कारण विधानसभा चुनाव में अजीत पवार को कम सीटें मिलने की संभावना जताई जा रही है। इसके चलते अजीत पवार अपने गुट के लिए ज्यादा सीटें हासिल करने के लिए दबाव की रणनीति पर काम कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, अजीत पवार का गुट यह संदेश दे रहा है कि अगर सीटों के बंटवारे में उन्हें सम्मानजनक सीटें नहीं मिलतीं, तो वे अपने दम पर सभी 288 सीटों पर उम्मीदवार उतार सकते हैं। इसके लिए वे संभावनाओं की तलाश भी कर रहे हैं।
अजीत पवार राज्य में तीसरा मोर्चा भी खड़ा कर सकते हैं। बीजेपी ने अपने सर्वे के आधार पर शिवसेना (शिंदे गुट) और राकां (अजीत पवार) के कई उम्मीदवारों को लोकसभा चुनाव से पहले हटा दिया था। अब अजीत पवार सभी 288 सीटों के लिए अपना अलग से सर्वे करा रहे हैं।
शिवसेना (शिंदे गुट) और बीजेपी भी अपना अलग सर्वे करा रहे हैं। तीनों पार्टियों के सर्वे की रिपोर्ट के बाद सीटों का बंटवारा होगा। राकां (अजीत पवार) के सांसद प्रफुल्ल पटेल ने बताया कि 2019 के चुनाव में राकां के उम्मीदवारों को 54 सीटों पर जीत मिली थी, और ये सीटें राकां (अजीत पवार) के पास ही रहेंगी।
बीजेपी ने अजीत पवार को महाराष्ट्र में एक और गठबंधन खड़ा करने का सुझाव दिया है। इसका उद्देश्य कांग्रेस की समान विचारधारा वाले वोटों का विभाजन करना है। अजीत पवार ने दिल्ली से लौटने के बाद इस तीसरे मोर्चे के गठन की तैयारी शुरू कर दी है। इस मोर्चे में अजीत की राकां के साथ प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन आघाडी, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम), बच्चू कडू की पार्टी प्रहार जनशक्ति और कुछ अन्य छोटे दल शामिल हो सकते हैं।
अजीत पवार ने अपने विधायकों को चेतावनी दी है कि जो विधायक पार्टी छोड़कर जाएंगे, उनकी जगह नए लोगों को मौका दिया जाएगा और एक नई टीम बनाई जाएगी।
अजीत पवार ने राज्यपाल द्वारा नियुक्त 12 विधायकों के मामले पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि इस मामले में 31 अगस्त से पहले फैसला हो सकता है। साथ ही अजीत पवार ने बताया कि उनकी पार्टी अल्पसंख्यकों के लिए एक सीट आरक्षित करेगी।
इस प्रकार, अजीत पवार अपनी रणनीतियों के साथ आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
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