महाराष्ट्र

Maharashtra Mental Health Deaths Surge: युवाओं की जान ले रहा मानसिक स्वास्थ्य संकट, महाराष्ट्र में चौंकाने वाला आंकड़ा!

Maharashtra Mental Health Deaths Surge: युवाओं की जान ले रहा मानसिक स्वास्थ्य संकट, महाराष्ट्र में चौंकाने वाला आंकड़ा!

Maharashtra Mental Health Deaths Surge: महाराष्ट्र में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी मौतों ने पिछले पांच साल में हर किसी को चौंका दिया है। एक आरटीआई के जरिए मिले आंकड़ों के मुताबिक, 2019 में जहां सिर्फ 26 लोग मानसिक और व्यवहारिक समस्याओं की वजह से मरे थे, वहीं 2023 में यह संख्या बढ़कर 1,919 हो गई। यानी 7500 फीसदी की भयानक बढ़ोतरी। खास बात यह है कि इनमें महिलाओं की मौतों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है।

2019 में सभी 26 मौतें सिजोफ्रेनिया और भ्रम संबंधी विकारों की वजह से हुई थीं। इनमें 9 पुरुष और 17 महिलाएं थीं। सिजोफ्रेनिया जैसी बीमारी में इंसान की सोच, भावनाएं और व्यवहार बुरी तरह प्रभावित होते हैं। लोग अक्सर वहम, भ्रम और असामान्य व्यवहार का शिकार हो जाते हैं। लेकिन 2019 के बाद हालात और बिगड़ गए। मानसिक और व्यवहारिक समस्याओं की वजह से होने वाली मौतों में तेजी आई। 2020 में 1,171 मौतें हुईं, जिनमें 902 पुरुष और 269 महिलाएं थीं। 2021 में यह आंकड़ा 1,599 तक पहुंचा, जिसमें 1,190 पुरुष और 409 महिलाएं थीं। 2022 में 1,073 लोग मरे, और 2023 में यह संख्या 1,919 तक पहुंच गई।

इनमें सबसे बड़ा कारण रहा नशीले पदार्थों का इस्तेमाल। 2023 में कुल 1,919 मौतों में से 1,186 यानी 61 फीसदी मौतें शराब, निकोटीन, मारिजुआना, कोकेन, हेरोइन जैसे नशीले पदार्थों की वजह से हुईं। इनमें 1,074 पुरुष और 112 महिलाएं थीं। विशेषज्ञों का कहना है कि नशीली दवाओं और शराब की लत दिमाग को इतना प्रभावित करती है कि लोग अपना नियंत्रण खो देते हैं और इसका नतीजा जानलेवा होता है।

सिजोफ्रेनिया और भ्रम से जुड़ी मौतें तुलनात्मक रूप से कम रहीं। 2020 में 51, 2021 में 80, 2022 में 49 और 2023 में 148 मौतें इस श्रेणी में दर्ज हुईं। लेकिन दूसरी मानसिक और व्यवहारिक समस्याओं की वजह से 2023 में 585 मौतें हुईं। यह दिखाता है कि नशे की लत के अलावा भी कई मानसिक समस्याएं लोगों की जान ले रही हैं।

2019 से 2023 के बीच महाराष्ट्र में कुल 5,788 लोग मानसिक और व्यवहारिक समस्याओं की वजह से मरे। सबसे ज्यादा 996 मौतें 45 से 54 साल की उम्र के लोगों में हुईं। इसके बाद 35 से 44 साल की उम्र में 939 लोग मरे। सबसे चिंताजनक बात यह है कि 15 से 24 साल के 277 युवा भी इस दौरान अपनी जान गंवा चुके हैं। इतनी कम उम्र में ऐसी मौतें समाज के लिए खतरे की घंटी हैं।

राज्य सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए कुछ कदम उठाए हैं। सभी 36 जिला अस्पतालों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं शुरू की गई हैं, जहां मनोचिकित्सक, नैदानिक मनोवैज्ञानिक, मनोरोग नर्स और सामाजिक कार्यकर्ता तैनात हैं। 2022 में एक खास टेली-परामर्श सेवा भी शुरू की गई, ताकि लोग आसानी से मदद ले सकें। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि यह संकट इतना बड़ा है कि इसे रोकने के लिए और बड़े प्रयासों की जरूरत है।

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