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Maitreya Scam: महाराष्ट्र सरकार की मैत्रेय घोटाले में बड़ी कार्रवाई, 2,500 करोड़ रुपये की वसूली शुरू, 30 लाख निवेशकों को मिलेगा रिफंड

Maitreya Scam: महाराष्ट्र सरकार की मैत्रेय घोटाले में बड़ी कार्रवाई, 2,500 करोड़ रुपये की वसूली शुरू, 30 लाख निवेशकों को मिलेगा रिफंड

Maitreya Scam in Maharashtra: महाराष्ट्र के लाखों निवेशकों के लिए एक उम्मीद की किरण जगी है। मैत्रेय ग्रुप की कंपनियों, मैत्रेय प्लॉट्स एंड स्ट्रक्चर्स प्राइवेट लिमिटेड और मैत्रेय सुपरस्ट्रक्चर्स प्राइवेट लिमिटेड, ने करीब 30 लाख लोगों को ठगने का काम किया। इस मैत्रेय घोटाले (Maitreya Scam) ने 2,500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का रूप लिया, जिसने आम लोगों की मेहनत की कमाई को खतरे में डाल दिया। अब महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाया है। बुधवार को मंत्रालय में गृह राज्यमंत्री योगेश कदम की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें निवेशकों को उनका पैसा वापस दिलाने की योजना पर चर्चा हुई।

इस घोटाले ने न केवल आर्थिक नुकसान पहुँचाया, बल्कि लोगों का भरोसा भी तोड़ा। मैत्रेय ग्रुप ने ऊँचे मुनाफे का लालच देकर मध्यमवर्गीय और गरीब परिवारों को अपने जाल में फँसाया। करीब 29.87 लाख निवेशकों ने अपनी गाढ़ी कमाई इन कंपनियों में लगाई, लेकिन उन्हें न तो ब्याज मिला और न ही उनका मूलधन वापस हुआ। सरकार ने अब इस मामले को गंभीरता से लिया है। योगेश कदम ने साफ कहा कि निवेशकों का हित संरक्षण (Investors’ Interest Protection) उनकी प्राथमिकता है।

बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। सरकार ने महाराष्ट्र निवेशक हित संरक्षण अधिनियम, 1999 (MPID Act) के तहत जब्त की गई संपत्तियों का मूल्यांकन छह महीने में पूरा करने का निर्देश दिया। इन संपत्तियों की अनुमानित कीमत 1,500 करोड़ रुपये है। इसके बाद, कानूनी प्रक्रिया को तेज कर आठ से नौ महीने में निवेशकों को रिफंड शुरू करने की योजना है। यह कदम उन लोगों के लिए राहत की साँस लेकर आया है, जो सालों से अपने पैसे के लिए इंतजार कर रहे हैं।

मैत्रेय ग्रुप के खिलाफ अब तक 31 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं, और 56 लोगों पर आपराधिक मामले चल रहे हैं। इनमें कंपनी के प्रमुख निदेशक भी शामिल हैं। योगेश कदम ने सभी संबंधित विभागों को समयबद्ध कार्य योजना बनाने का आदेश दिया, ताकि निवेशकों को जल्द से जल्द उनका पैसा मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी धोखाधड़ी करने वाली कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। यह संदेश साफ है कि सरकार आम निवेशकों के साथ खड़ी है।

महाराष्ट्र में इस तरह के घोटाले कोई नई बात नहीं हैं। अतीत में भी कई कंपनियों ने लोगों को ठगा है, लेकिन सरकार का यह कदम एक मिसाल बन सकता है। MPID अधिनियम एक ऐसा कानून है, जो धोखाधड़ी करने वाली कंपनियों की संपत्तियों को जब्त कर निवेशकों को उनका हक दिलाने में मदद करता है। इस कानून के तहत संपत्तियों को बेचकर उस राशि को निवेशकों में बाँटा जाता है। मैत्रेय घोटाले में भी यही प्रक्रिया अपनाई जा रही है, और सरकार ने इसे पारदर्शी बनाने का वादा किया है।

इस बैठक में विधायक किशोर अप्पा पाटिल, गृह विभाग के विशेष प्रधान सचिव अमितेश कुमार और आर्थिक अपराध शाखा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सुरेशकुमार मेकाला जैसे वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। उनकी मौजूदगी से यह स्पष्ट है कि सरकार इस मामले को कितनी गंभीरता से ले रही है।

मैत्रेय घोटाले ने न केवल आर्थिक, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी प्रभाव डाला है। जिन लोगों ने अपनी जमा-पूँजी इन कंपनियों में लगाई थी, उनके लिए यह एक बड़ा झटका था। कई परिवारों की आर्थिक स्थिति डगमगा गई, और उनका भविष्य अनिश्चित हो गया। अब सरकार की इस पहल से उनमें फिर से विश्वास जागा है।

निवेशकों के लिए यह जरूरी है कि वे भविष्य में ऐसी योजनाओं से सावधान रहें। ऊँचे रिटर्न का वादा करने वाली कंपनियाँ अक्सर लोगों को अपने जाल में फँसाती हैं। मैत्रेय ग्रुप ने भी यही किया। उन्होंने आकर्षक ऑफर और झूठे वादों के जरिए लोगों को लुभाया, लेकिन अंत में सब धोखा निकला। सरकार की कार्रवाई से यह संदेश भी जाता है कि कोई भी कंपनी ऐसी धोखाधड़ी करके बच नहीं सकती।

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