Majrooh’s Poem on Nehru: भारतीय साहित्य और राजनीति के इतिहास में एक दिलचस्प किस्सा तब दर्ज हुआ, जब मशहूर उर्दू शायर और गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी ने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की आलोचना करते हुए एक कविता सुनाई। यह घटना 1949 की है, जब मजरूह सुल्तानपुरी कविता विवाद (Majrooh Sultanpuri Poetry Controversy) के कारण उन्हें जेल तक जाना पड़ा था।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
देश को 1947 में आज़ादी मिली और पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने। आज़ादी के बाद के शुरुआती सालों में भारत में औद्योगिक मजदूरों का आंदोलन ज़ोरों पर था। उस समय मुंबई (तब बंबई) में एक बड़ी हड़ताल हुई थी। मजदूरों के समर्थन में जाने-माने शायर मजरूह सुल्तानपुरी वहां पहुंचे और उन्होंने अपनी एक तीखी कविता सुनाई।
इस कविता में मजरूह ने नेहरू की नीतियों पर निशाना साधते हुए उन्हें “कॉमनवेल्थ का दास” और “हिटलर का चेला” तक कह दिया। उनकी कविता में सरकार की आर्थिक और सामाजिक नीतियों की खुलकर आलोचना थी, जिसने उस समय के राजनीतिक माहौल को और गर्मा दिया।
कविता के बोल जिन्होंने मचा दिया बवाल
मजरूह सुल्तानपुरी की कविता के ये पंक्तियां खासतौर पर विवाद का कारण बनीं:
“मन में जहर डॉलर के बसा के,
फिरती है भारत की अहिंसा,
खादी की केंचुल को पहनकर,
ये केंचुल लहराने न पाए,
ये भी है हिटलर का चेला,
मार लो साथी जाने न पाए,
कॉमनवेल्थ का दास है नेहरू,
मार लो साथी जाने न पाए।”
नेहरू की नाराज़गी और मजरूह की जेल यात्रा
मजरूह की यह कविता सुनने के बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार और पंडित नेहरू बेहद नाराज हो गए। सरकार ने इस कविता को बैन करवा दिया और मजरूह सुल्तानपुरी को गिरफ्तार कर लिया गया। उनके साथ प्रसिद्ध अभिनेता बलराज साहनी को भी जेल भेजा गया।
मजरूह सुल्तानपुरी को यह शर्त दी गई कि अगर वह माफी मांग लें, तो उन्हें रिहा कर दिया जाएगा। लेकिन मजरूह ने माफी मांगने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वह अपनी कविताओं के जरिए सच्चाई बयां कर रहे हैं और उनके विचारों को दबाया नहीं जा सकता।
दो साल तक जेल में रहे मजरूह
माफी न मांगने के कारण मजरूह सुल्तानपुरी को दो साल तक जेल में रहना पड़ा। यह समय उनके लिए कठिन जरूर था, लेकिन उन्होंने इस दौरान भी कई गीत और कविताएं लिखीं। मजरूह का यह अडिग रवैया उनके व्यक्तित्व की ताकत को दर्शाता है।
निर्मला सीतारमण ने क्यों उठाया यह मुद्दा?
हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान नेहरू पर मजरूह की कविता (Majrooh’s Poem on Nehru) का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने खुद अपने समय में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचला था। यह उदाहरण उन्होंने यह बताने के लिए दिया कि अभिव्यक्ति की आज़ादी की बातें करने वाली कांग्रेस का असली चेहरा क्या था।
क्यों खास हैं मजरूह सुल्तानपुरी?
मजरूह सुल्तानपुरी सिर्फ एक शायर ही नहीं, बल्कि भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर गीतकार भी थे। उन्होंने हिंदी फिल्मों के लिए कई यादगार गाने लिखे। उनका लेखन हमेशा समाज के मुद्दों को उठाने वाला और जनहित में बोलने वाला रहा। उनकी यह कविता भी सत्ता के खिलाफ आवाज उठाने का प्रतीक बन गई थी।
कविता विवाद का संदेश
मजरूह सुल्तानपुरी का यह पूरा विवाद हमें यह सिखाता है कि सच्चाई के लिए आवाज उठाना कितना जरूरी है, चाहे हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों। उनकी कविता आज भी उन लोगों के लिए प्रेरणा है, जो अन्याय के खिलाफ बोलने का हौसला रखते हैं।