MNS Recognition Cancellation: महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर हलचल मचने वाली है। मराठी भाषा के मुद्दे पर चल रही बहस ने अब नया मोड़ ले लिया है। उत्तर भारतीय विकास सेना (UBVS) ने महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (MNS) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस याचिका में मनसे की मान्यता रद्द करने की मांग की गई है। इसके पीछे वजह है मनसे की गुड़ी पड़वा रैली के बाद मुंबई और आसपास के इलाकों में हिंदी भाषियों पर हुए हमले। यह खबर आज की नई पीढ़ी के लिए खास है, जो सियासत और समाज के बदलते रंगों को समझना चाहती है। आइए, इस पूरे मामले को आसान और रोचक तरीके से जानते हैं।
यह सब शुरू हुआ मनसे की उस रैली से, जो मराठी भाषा को बढ़ावा देने के नाम पर हुई थी। लेकिन इस रैली के बाद मुंबई MMR इलाके में कुछ हिंदी भाषी लोगों पर हमले की खबरें सामने आईं। UBVS के अध्यक्ष सुनील शुक्ला ने इसे गंभीरता से लिया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि मनसे की हरकतें शांति भंग कर रही हैं। साथ ही, उन्होंने चुनाव आयोग से भी “मनसे की मान्यता रद्द” (MNS Recognition Cancellation) की मांग की। उनका कहना है कि राज ठाकरे की पार्टी नफरत फैलाने का काम कर रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
सुनील शुक्ला ने अपनी बात को और जोरदार तरीके से रखा। उन्होंने राज ठाकरे पर कई बड़े आरोप लगाए। उनका कहना है कि राज ठाकरे हिंदू विरोधी हैं और उन्होंने ब्राह्मणों व क्षत्रियों को निशाना बनाया, लेकिन मुस्लिम समुदाय को कभी हाथ नहीं लगाया। शुक्ला ने यह भी कहा कि राज ने मां गंगा और महादेव का अपमान किया है। इतना ही नहीं, छत्रपति शिवाजी महाराज की शान में भी गुस्ताखी की बात सामने आई। यह सुनकर मनसे के कार्यकर्ता भड़क गए। मनसे के मुंबई अध्यक्ष संदीप देशपांडे ने जवाब में उत्तर भारतीयों को महाराष्ट्र से भगाने की धमकी तक दे डाली।
इस मामले ने सियासी तापमान को और बढ़ा दिया। शुक्ला ने सिर्फ राज ठाकरे पर ही नहीं, बल्कि उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे पर भी निशाना साधा। उन्होंने उद्धव को मुस्लिम हितैषी कहा और एकनाथ शिंदे पर आरोप लगाया कि उन्होंने अपने बेटे को सांसद बनवाने के लिए मुस्लिम समुदाय में पैसे बांटे। यह बयान सुनकर आपको भी लगेगा कि यह मामला अब सिर्फ मराठी भाषा तक सीमित नहीं रहा। यह धर्म, जाति और सियासत का मिश्रण बन गया है। आज की युवा पीढ़ी, जो सोशल मीडिया पर हर खबर को देखती है, इसे एक बड़े सियासी ड्रामे के तौर पर देख सकती है।
मनसे की तरफ से भी जवाबी हमला तेज हो गया है। संदीप देशपांडे ने कहा कि वे उत्तर भारतीयों को महाराष्ट्र में नहीं रहने देंगे। यह बयान अपने आप में बहुत कुछ कहता है। दूसरी ओर, सुनील शुक्ला ने कहा कि वे इन धमकियों से डरने वाले नहीं हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि राज ठाकरे का नारा “गजवा-ए-हिंद की करो तैयारी, आ रहा है सुपारीधारी” साफ तौर पर नफरत फैलाने वाला है। यह सुनकर शायद आपको भी लगे कि यह विवाद अब कोर्ट की चौखट से सड़कों तक पहुंच सकता है। “मराठी भाषा विवाद” (Marathi Language Dispute) अब सिर्फ भाषा की लड़ाई नहीं, बल्कि सियासी ताकत की जंग बन गया है।
यह खबर इसलिए भी अहम है, क्योंकि यह महाराष्ट्र की सियासत को हिला सकती है। मराठी भाषा का मुद्दा हमेशा से यहां संवेदनशील रहा है। मनसे ने इसे अपने लिए एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया है। लेकिन अब UBVS के सुप्रीम कोर्ट जाने से यह सवाल उठ रहा है कि क्या मनसे की मान्यता सचमुच खतरे में है? अगर ऐसा हुआ, तो राज ठाकरे की पार्टी के लिए यह बड़ा झटका होगा। यह मामला नई पीढ़ी को यह सोचने पर मजबूर करता है कि भाषा और संस्कृति के नाम पर सियासत कितनी दूर तक जा सकती है।
शुक्ला ने अपने बयानों में यह भी कहा कि महाराष्ट्र से करोड़ों लोग कुंभ मेले में जाते हैं और वहां उनका सम्मान होता है। लेकिन राज ठाकरे इसे मराठी बनाम बाकी की लड़ाई बना रहे हैं। यह बात सुनकर आपको भी लगेगा कि यह विवाद सिर्फ दो पक्षों की जिद नहीं है। इसके पीछे गहरी भावनाएं और इतिहास भी जुड़ा है। मराठी भाषा का सम्मान एक तरफ है, तो दूसरी तरफ हिंदी भाषियों की सुरक्षा का सवाल भी उठ रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस पर क्या फैसला सुनाती है।
इस पूरे मामले ने महाराष्ट्र की सियासत को गरमा दिया है। एक तरफ मनसे अपने मराठी अस्मिता के नारे को मजबूत करना चाहती है, तो दूसरी तरफ UBVS इसे नफरत की सियासत बता रही है। यह खबर सिर्फ कोर्ट तक नहीं रुकेगी। यह सड़कों पर, सोशल मीडिया पर और लोगों की बातचीत में भी छाई रहेगी। नई पीढ़ी, जो तेजी से बदलते हालात को देख रही है, इस खबर से यह समझ सकती है कि सियासत और समाज के बीच का रिश्ता कितना जटिल हो सकता है।
#MNSCancellation #MarathiLanguageDispute #SupremeCourtCase #MaharashtraPolitics #RajThackeray
ये भी पढ़ें: मराठी विवाद में नया मोड़: MNS के मुंबई शहर अध्यक्ष संदीप देशपांडे को मिली जान से मारने की धमकी