हिंदू धर्म में एकादशी तिथियों का विशेष महत्व है। मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi), जो मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष में आती है, मोक्ष प्राप्ति के लिए सबसे प्रभावशाली मानी जाती है। इस दिन व्रत और पूजा-पाठ से न केवल भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि यह तिथि आत्मा को मुक्ति के मार्ग पर ले जाती है। आइए, जानें इस एकादशी की महिमा और इससे जुड़ी धार्मिक परंपराओं को विस्तार से।
मोक्षदा एकादशी का महत्व
हिंदू ग्रंथों के अनुसार, साल में कुल 24 एकादशियां आती हैं। इनमें से हर एक का अपना विशेष महत्व है, लेकिन मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) को भगवान विष्णु की कृपा से मोक्ष प्राप्त करने का सशक्त माध्यम माना गया है।
यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है, और मार्गशीर्ष मास को उनके आराधना के लिए बेहद शुभ माना जाता है। धर्मशास्त्रों में वर्णित है कि इस दिन व्रत करने और विष्णु सहस्त्रनाम, गीता पाठ, और हवन करने से मनुष्य अपने पापों से मुक्ति पा सकता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस तिथि पर व्रत करने से जन्म-जन्मांतर के बंधनों से मुक्ति मिलती है। इसी कारण इसे मोक्ष प्राप्ति का दिन कहा जाता है।
व्रत की विधि और विष्णु पूजा का महत्व
विष्णु पूजा का महत्व (Importance of Vishnu Worship) मोक्षदा एकादशी के दिन और अधिक बढ़ जाता है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर व्रत का संकल्प लिया जाता है। व्रतधारी को पूरे दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
पूजा विधि में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ, तुलसी पत्र अर्पण और दीप जलाना अनिवार्य माना जाता है। मान्यता है कि अगर यह व्रत विधि-विधान से किया जाए, तो भगवान विष्णु स्वयं अपनी कृपा बरसाते हैं।
पंडितों के अनुसार, व्रत के अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को व्रत का पारायण करना चाहिए। इसमें भक्तजन भगवान विष्णु को प्रसाद अर्पित कर उसे सबमें वितरित करते हैं। यह परंपरा भगवान की कृपा सभी के साथ साझा करने का प्रतीक है।
व्रत में क्या है वर्जित?
इस पवित्र दिन पर कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना जरूरी है। मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) के व्रत के दौरान दशमी तिथि से ही खानपान में सतर्कता बरतनी चाहिए।
प्याज, लहसुन, और मांसाहारी भोजन का सेवन पूरी तरह वर्जित है। इसके साथ ही चावल या चावल से बनी चीजों का भी त्याग करना चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि इन वस्तुओं का सेवन भगवान विष्णु को अप्रसन्न कर सकता है।
पंडित श्रीधर शास्त्री के अनुसार, व्रत में किसी भी प्रकार की अशुद्धता या नियमों की अनदेखी न केवल व्रत को निष्फल कर सकती है, बल्कि जीवन में संकट भी ला सकती है। इसलिए व्रतधारियों को नियमों का पूर्ण पालन करना चाहिए।
एकादशी के दिन क्या भूलकर भी न करें
मोक्षदा एकादशी के दिन विवाद, आलस्य, या झूठ बोलने जैसे कार्यों से बचना चाहिए। यह दिन आत्म-शुद्धि और भक्ति का है। धार्मिक दृष्टि से यह भी कहा गया है कि इस दिन धन या किसी वस्तु का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
भूलकर भी किसी जरूरतमंद को नज़रअंदाज़ न करें। भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति के लिए दूसरों की मदद करना अनिवार्य है।
#MokshadaEkadashi #VishnuWorship #HinduFestivals #EkadashiVrat #SpiritualJourney
ये भी पढ़ें: Banyan Tree Temple: दुनिया का पहला मंदिर जहां शिव जी बने वट वृक्ष, पूजा से मिटती हैं शारीरिक और मानसिक बीमारियां!