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Banyan Tree Temple: दुनिया का पहला मंदिर जहां शिव जी बने वट वृक्ष, पूजा से मिटती हैं शारीरिक और मानसिक बीमारियां!

Banyan Tree Temple: दुनिया का पहला मंदिर जहां शिव जी बने वट वृक्ष, पूजा से मिटती हैं शारीरिक और मानसिक बीमारियां!

गांधीनगर के पास शेरथा गांव का वडावाला महादेव आश्रम एक अनोखा स्थान है। यहां वट वृक्ष मंदिर (Banyan Tree Temple) में भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग नहीं, बल्कि वट वृक्ष की पूजा होती है। यह मंदिर न केवल आध्यात्मिकता का केंद्र है, बल्कि यह पर्यावरण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का भी संदेश देता है। आइए, विस्तार से जानें इस मंदिर की खासियत।

वट वृक्ष मंदिर: कैसे हुई स्थापना?

वडावाला महादेव आश्रम के प्रबंध ट्रस्टी रजनीशभाई पटेल के अनुसार, यह मंदिर दुनिया में अपनी तरह का पहला स्थान है। यहां भगवान शिव को वट वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। 2023 के पवित्र श्रावण मास के पहले सोमवार को यह अनोखी स्थापना की गई।

यहां के भक्तों का मानना है कि वट वृक्ष मंदिर (Banyan Tree Temple) में पूजा करने से शारीरिक और मानसिक बीमारियां दूर होती हैं। जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से इस मंदिर में आते हैं, उनकी सभी इच्छाएं भगवान भोलेनाथ पूरी कर देते हैं। यह मंदिर एक पर्यावरण-अनुकूल सोच का भी प्रतीक है, क्योंकि यहां वट वृक्ष को धार्मिकता से जोड़ा गया है।

महामृत्युञ्जय मंत्र का महत्व

यहां नियमित रूप से महामृत्युञ्जय मंत्र का महत्व (Importance of Mahamrityunjay Mantra) को ध्यान में रखते हुए इसका जाप किया जाता है। यह मंत्र शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक प्रभावी माना गया है।

महामृत्युञ्जय मंत्र, जिसे त्र्यंबकम मंत्र या रुद्र मंत्र भी कहा जाता है, ऋग्वेद और यजुर्वेद में वर्णित है। यह न केवल व्यक्ति को बीमारियों से मुक्त करता है, बल्कि आध्यात्मिक शक्ति भी प्रदान करता है। आश्रम में इस मंत्र के साथ योग, प्राणायाम और ध्यान जैसी विधियों का अभ्यास भी कराया जाता है।

वट वृक्ष: धार्मिक और पर्यावरणीय महत्व

वट वृक्ष को हिंदू धर्म में अक्षय वृक्ष माना जाता है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका पर्यावरण में भी बड़ा योगदान है। शास्त्रों के अनुसार, वट वृक्ष के नीचे पूजा करने से सुख, समृद्धि और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।

यह वृक्ष ऑक्सीजन का एक निरंतर स्रोत है और पक्षियों के लिए आश्रय प्रदान करता है। वट वृक्ष की मोटी जड़ें भूकंप के झटकों को सहन कर सकती हैं, और यह किसानों के खेतों में कीट नियंत्रण का प्राकृतिक उपाय भी बनता है।

भगवान बुद्ध को वट वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था। इसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास स्थान भी माना गया है। वडावाला महादेव आश्रम ने 10 करोड़ वट वृक्ष लगाने का संकल्प लिया है, जो पर्यावरण संरक्षण में एक बड़ा कदम है।

वडावाला महादेव मंदिर का सामाजिक योगदान

इस मंदिर का उद्देश्य सिर्फ धार्मिकता नहीं, बल्कि सामाजिक उत्थान भी है। अब तक 50,000 से अधिक वट वृक्ष लगाए जा चुके हैं। आश्रम का लक्ष्य पर्यावरण संतुलन बनाए रखना और कृषि में सकारात्मक योगदान देना है।

यहां किए जाने वाले कार्यों में जल संरक्षण, जैव विविधता को बढ़ावा, और किसानों को प्राकृतिक उपायों से जोड़ना शामिल है। वट वृक्ष से जुड़े इन अभियानों से न केवल पर्यावरण, बल्कि समाज का भी भला होता है।


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