मुंबई

Abhishek Ghosalkar Murder: अभिषेक घोसालकर हत्या मामले में हत्यारे ने भी खुदकुशी कर ली, लेकिन उसके बॉडीगार्ड को पुलिस ने हिरासत में ले लिया, आखिर क्यों?

Abhishek Ghosalkar Murder
Image Source - Web

Abhishek Ghosalkar Murder: दहिसर में गुरुवार शिवसेना के पूर्व विधायक अभिषेक घोसालकर की हत्या मॉरिस नोरोन्हा ने गोली मारक कर दी और हत्या करने के करीब 15 मिनट के बाद उसने खुद को भी गोली मार कर आत्महत्या कर ली। ऐसे में हत्यारा तो रहा नहीं, लेकिन हत्यारे मॉरिस के बॉडीगार्ड को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। ऐसे में सवाल ये उठता है, कि आखिर उसके बॉडीगार्ड को पुलिस ने हिरासत में क्यों लिया? तो जानते हैं इस सवाल का जवाब क्या है।

दरअसल अभिषेक घोसालकर को मारने के लिए जिस पिस्टल का इस्तेमाल किया गया था, उसके बारे में बताया जा रहा है कि वो लाइसेंस यूपी पुलिस के द्वारा दिया गया था। और वो लाइसेंस मॉरिस नोरोन्हा के बॉडीगार्ड अमरेंद्र मिश्रा के नाम पर था। हालांकि गोलियां अमरेंद्र ने नहीं, मॉरिस ने चलाईं थी, लेकिन मुंबई क्राइम ब्रांच ने अमरेंद्र को इसलिए गिरफ्तार किया, क्योंकि उसने अपने आर्म्स लाइसेंस से मिली पिस्टल का गलत इस्तेमाल होने दिया। इसी वजहल से अमरेंद्र को मुंबई क्राइम ब्रांच ने अपने हिरासत में लिया है।

वेल अब यहां जानना जरूरी हो जता है, कि आखिर आर्म्स के लाइसेंट किसे, किस बेस पर और किस तरह से मिलता है?

तो सबसे पहले ये बता दें कि, लाइसेंस देते समय पुलिस सबसे पहले ये देखती है कि सामने वाले की जान को कितना खतरा है। कई बार किसी को धमकी भरे फोन आते हैं, कई बार जांच एजेंसियों को भी किसी के बारे में अपने इनपुट मिलते हैं। कई बार लोगों का बिजनेस बड़ा होता है, तो उन्हें इस आधार पर अपनी जान का खतरा रहता है। ऐसे में बहुत से लोग कई बार पुलिस को आर्म के लिए एप्लीकेशन देते हैं। (Abhishek Ghosalkar Murder)

जहां तक मुंबई की बात है, तो यहां पर आर्म के लिए एप्लीकेशन पुलिस कमिश्नर को दी जाती है। खतरे की सच्चाई जानने के लिए कमिश्नर डीसीपी हेडक्वार्टर (वन) को एप्लीकेशन फॉरवर्ड करता है। तब वहां से ये अर्जी लाइसेंस ब्रांच को जाती है।

इंटेलिजेंस इनपुट पर बनती है रिपोर्ट

जिसने अर्जी दी, लाइसेंस ब्रांच वो एप्लीकेशन उस रीज़न के एडिशनल सीपी को, वहां से फिर ज़ोन के डीसीपी को और फिर संबंधित पुलिस स्टेशन के सीनियर पीआई को फॉरवर्ड की जाती है। सीनियर पीआई अपने लोकल इंटेलिजेंस इनपुट के आधार पर रिपोर्ट तैयार करता है और फिर वापस उसी प्रोटोकॉल से अपनी रिपोर्ट पुलिस कमिश्नर ऑफिस पहुंचाता है। पुलिस कमिश्नर उसके बाद आर्म्स लाइसेंस देने या न देने पर अपना फैसला लेते हैं। छोटे शहरों में ये फैसला पुलिस अधीक्षक के पास होता है। (Abhishek Ghosalkar Murder)

ये भी पढ़ें: Abhishek Ghosalkar Murder: किस दुश्मनी के कारण मॉरिस ने किया अभिषेक का मर्डर और क्यों उसने खुद भी कर ली आत्महत्या?

टूरिस्ट लाइसेंस भी मिलता है

एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार, लाइसेंस दो तरह के होते हैं। एक लोकल और एक ऑल इंडिया लाइसेंस। जिसे लोकल लाइसेंस मिला है, यदि उसे कुछ दिनों के लिए उस शहार से बाहर हथियार लेकर जाना है, तो उसे लोकल पुलिस को एप्लीकेशन देनी होगी। लोकल पुलिस फिर उसकी परमिशन दे देती है। मुंबई पुलिस के एक अन्य अधिकारी के अनुसार, इस तरह के लाइसेंस को टूरिस्ट लाइसेंस भी कहा जाता है। दूसरा लाइसेंस ऑल इंडिया होता है। लेकीन इस अधिकारी के अनुसार, इसके भी नियम होते हैं। जैसे मुंबई से बाहर किसी दूसरे राज्य में यदि किसी को आर्म्स लाइसेंस मिला है, वो व्यक्ति यदि स्थायी रूप से या कुछ महीने के लिए भी मुंबई रहने वाला है, तो उसे मुंबई पुलिस के डीसीपी हेडक्वार्टर (वन) को सूचना देनी पड़ेगी।

मॉरिस को इसलिए नहीं मिला लाइसेंस

अब जहां तक मॉरिस की बात है तो, उसके बारे में कहा जा रहा है कि चूकि मॉरिस नोरोन्हा के खिलाफ क्रिमिनल केस थे। वो कुछ केसों में अरेस्ट भी हुआ था, यहां तक कि जेल भी जा चुका था। इसलिए उसे पता था कि उसे उसके नाम से मुंबई में लाइसेंस मिलना नामुमकिन है। इसलिए उसने अपने बॉडीगार्ड के नाम से लाइसेंस ली और पिस्टल का इस्तेमाल खुद करने लगा। तो इस तरह भले ही गोली मॉरिस ने चलाई, लेकिन पुलिस ने उसके बॉडीगार्ड को अपने हिरासत में लिया। अब मॉरिस तो रहा नहीं, लेकिन जिसके नाम पर वो पिस्टल है, जिससे गोली चली थी, उस व्यक्ति को हिरासत में लेकर पुलिस मामले की छानबीन में जुट गई है।  (Abhishek Ghosalkar Murder)

ये भी पढ़ें: Maratha Reservation: मनोज जरांगे-पाटील जालना में फिर शुरू करेंगे अनशन

You may also like