महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर सियासी तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। मराठी बनाम गैर-मराठी के इस विवाद ने अब एक नया मोड़ ले लिया है। हाल ही में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के मुंबई शहर अध्यक्ष संदीप देशपांडे को एक अज्ञात नंबर से धमकी भरा फोन आया, जिसके बाद ये मामला और गरमा गया है।
विवाद की शुरुआत: उत्तर भारतीय विकास सेना की मांग
दरअसल, ये पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब उत्तर भारतीय विकास सेना ने मनसे प्रमुख राज ठाकरे पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगाया। सेना ने मांग की कि राज ठाकरे इसके लिए माफी मांगें और साथ ही मनसे की पार्टी के रूप में मान्यता भी रद्द की जाए। इस मांग पर संदीप देशपांडे ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, “अगर भैया हमारी पार्टी की मान्यता रद्द करने की बात कह रहे हैं, तो हम भी विचार करेंगे कि उन्हें मुंबई में रहने दिया जाए या नहीं।” इस बयान ने विवाद को और हवा दे दी।
संदीप देशपांडे को धमकी भरा फोन
इस सियासी खींचतान के बीच अब संदीप देशपांडे को एक अज्ञात शख्स ने फोन पर धमकी दी है। उनके मुताबिक, मंगलवार रात करीब 10:15 बजे जब वे घर पर थे, उन्हें एक अनजान नंबर से कॉल आया। फोन करने वाले ने गाली-गलौज करते हुए उन्हें जान से मारने की धमकी दी। इस घटना के बाद संदीप ने तुरंत दादर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर आरोपी के फोन नंबर को ट्रेस करना शुरू कर दिया है और उसकी तलाश जारी है।
संदीप देशपांडे ने पुलिस को बताया कि वे ऐसी धमकियों से डरने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा, “मैंने शिकायत दर्ज करा दी है, अब आगे का काम पुलिस का है।” उनका ये साहसिक रवैया उनके समर्थकों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
संजय निरुपम की चेतावनी
इस बीच, एकनाथ शिंदे गुट के नेता संजय निरुपम ने भी इस विवाद में अपनी आवाज उठाई। उन्होंने मनसे कार्यकर्ताओं द्वारा लोगों की पिटाई की घटनाओं की निंदा की और चेतावनी दी कि ऐसा व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। संजय निरुपम ने कहा, “मराठी भाषा के उपयोग के लिए लोगों को प्रेरित करना गलत नहीं है, लेकिन अगर इस जिद में उत्तर भारत से आए लोगों पर हमला किया जा रहा है, तो ये स्वीकार्य नहीं है।” उन्होंने ये भी कहा कि मनसे को अपनी पार्टी की मान्यता रद्द करने की याचिका का सामना करना पड़ सकता है।
क्या है मराठी भाषा विवाद का असली मुद्दा?
महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर ये विवाद कोई नई बात नहीं है। राज्य में मराठी और गैर-मराठी लोगों के बीच तनाव समय-समय पर सामने आता रहा है। मनसे जैसे संगठन मराठी अस्मिता को बढ़ावा देने के लिए आक्रामक रुख अपनाते हैं, वहीं दूसरी ओर उत्तर भारतीय समुदाय इसे अपने खिलाफ मानता है। इस टकराव ने अब धमकियों और हिंसा का रूप ले लिया है, जिससे राज्य की शांति पर सवाल उठने लगे हैं।
आगे क्या?
पुलिस अब इस मामले की जांच में जुटी है और जल्द ही आरोपी की पहचान होने की उम्मीद है। वहीं, संदीप देशपांडे और मनसे की ओर से इस धमकी को लेकर सख्त जवाब देने की तैयारी दिख रही है। दूसरी ओर, संजय निरुपम जैसे नेताओं की चेतावनी से ये साफ है कि ये विवाद अभी खत्म होने वाला नहीं है।
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