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No-Confidence Motion in France: फ्रांस में कैसे गिर गई सरकार? 60 सालों में पहली बार अविश्वास प्रस्ताव पारित; दुविधा में फंसे मैक्रों

No-Confidence Motion in France: फ्रांस में कैसे गिर गई सरकार? 60 सालों में पहली बार अविश्वास प्रस्ताव पारित; दुविधा में फंसे मैक्रों

No-Confidence Motion in France: फ्रांस की राजनीति में पिछले दिनों एक अप्रत्याशित मोड़ आया जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा। सरकार गिरने की वजह (Reason for Government Fall) देश की संसद में पारित हुआ अविश्वास प्रस्ताव बना। यह घटना इसलिए खास है क्योंकि फ्रांस में ऐसा 60 साल में पहली बार हुआ है। आइए, इस घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं।

अविश्वास प्रस्ताव: क्या और कैसे?

अविश्वास प्रस्ताव किसी भी लोकतांत्रिक सरकार को हिलाने का एक सशक्त माध्यम है। लेकिन सवाल उठता है कि फ्रांस में यह स्थिति क्यों आई? सरकार गिरने की वजह (Reason for Government Fall) मुख्य रूप से बजट विवाद था। संसद में सत्ताधारी दल और विपक्ष के बीच तीखे मतभेद इतने बढ़ गए कि इसे हल करना असंभव हो गया।

फ्रांस की नेशनल असेंबली, जो देश की संसद का निचला सदन है, पिछले कुछ महीनों से तीन हिस्सों में बंट चुकी थी। जून-जुलाई 2024 में हुए चुनावों के बाद किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। इस विभाजित स्थिति ने प्रधानमंत्री मिशेल बार्नियर के नेतृत्व वाली सरकार को कमजोर कर दिया।

विपक्ष का एकजुट होना: इतिहास दोहराया गया

फ्रांस के दक्षिणपंथी और वामपंथी दल, जो आमतौर पर एक-दूसरे के घोर विरोधी हैं, एकजुट हो गए। इस तरह की एकता फ्रांस की राजनीति में कम ही देखने को मिलती है। बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया और भारी बहुमत से पारित भी हो गया। फ्रांस में अविश्वास प्रस्ताव (No-Confidence Motion in France) पास करने के लिए 288 वोटों की आवश्यकता थी, लेकिन 331 सांसदों ने इसके पक्ष में मतदान किया।

यहां यह बात भी गौर करने लायक है कि राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इस संकट से उबरने की कोशिश की, लेकिन संसद का असंतोष इतना गहरा था कि प्रधानमंत्री बार्नियर को इस्तीफा देना पड़ा।

बजट विवाद ने बढ़ाई मुश्किलें

इस पूरे प्रकरण की शुरुआत प्रधानमंत्री के बजट प्रस्ताव से हुई। बार्नियर ने जो बजट पेश किया, उसमें कई मुद्दे विवादित थे। विपक्षी दलों ने इसे नागरिकों की जरूरतों को नज़रअंदाज़ करने वाला बताया।

नेशनल रैली की नेता मरीन ले पेन ने कहा, “यह अविश्वास प्रस्ताव नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए जरूरी था।” उन्होंने राष्ट्रपति मैक्रों को भी इस स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया।

अब आगे क्या?

प्रधानमंत्री के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति मैक्रों के सामने नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। उन्हें जल्द ही नए प्रधानमंत्री का चयन करना होगा। लेकिन सवाल यह है कि मौजूदा राजनीतिक माहौल में कौन ऐसा नेता होगा जो संसद को एकजुट कर सके?

इसी बीच, राष्ट्रपति ने स्पष्ट किया कि वह अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे। उन्होंने कहा, “मैं यहां इसलिए हूं क्योंकि फ्रांस के लोगों ने मुझे दो बार चुना है। यह संकट भी बीत जाएगा।”

फ्रांस के इस राजनीतिक संकट ने न केवल देश के भीतर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हलचल मचा दी है। फ्रांस में अविश्वास प्रस्ताव (No-Confidence Motion in France) का पास होना इस बात का संकेत है कि लोकतंत्र में जनता की जरूरतें और उनकी आवाज़ सबसे ऊपर होती हैं।


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