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Dowry Deaths: हैरान करने वाली सच्चाई! हर दिन 18 महिलाएं दहेज की भेंट चढ़ रही हैं, NCRB के आंकड़े उजागर करते हैं दर्दनाक हकीकत

Dowry Deaths: हैरान करने वाली सच्चाई! हर दिन 18 महिलाएं दहेज की भेंट चढ़ रही हैं, NCRB के आंकड़े उजागर करते हैं दर्दनाक हकीकत

Dowry Deaths: भारत में दहेज प्रथा आज भी एक गंभीर समस्या बनी हुई है। यह एक ऐसी सामाजिक बुराई है जो महिलाओं के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देती है। सरकार ने दहेज रोकने के लिए कई कानून बनाए हैं, लेकिन इसके बावजूद दहेज उत्पीड़न और हत्याओं के मामले कम नहीं हो रहे। हाल ही में ग्रेटर नोएडा में 28 साल की निक्की भाटी की दहेज के लिए हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस घटना ने एक बार फिर दहेज प्रथा की क्रूरता को सामने ला दिया।

21 अगस्त 2025 को ग्रेटर नोएडा के कांसा इलाके में निक्की भाटी को उनके पति विपिन भाटी और सास दया ने कथित तौर पर ज्वलनशील पदार्थ डालकर आग लगा दी। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उनकी मौत हो गई। निक्की की शादी 2016 में हुई थी और उनकी बहन कंचन के मुताबिक, शादी के छह महीने बाद से ही दहेज के लिए उत्पीड़न शुरू हो गया था। ससुराल वाले 36 लाख रुपये की मांग कर रहे थे। इस घटना ने महिला सुरक्षा पर सवाल उठाए और दहेज के खिलाफ बने कानूनों की कमजोरी को उजागर किया।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में दहेज की वजह से 6,450 महिलाओं की हत्या हुई। यानी हर दिन औसतन 18 महिलाएं दहेज के कारण अपनी जान गंवा रही हैं। 2018 से 2022 के बीच कुल 34,477 महिलाएं दहेज से जुड़ी हिंसा की शिकार हुईं। उत्तर प्रदेश में 2022 में 2,138 मामले दर्ज हुए, जो देश में सबसे ज्यादा हैं। बिहार में 1,057 और मध्य प्रदेश में 518 मामले सामने आए। ये आंकड़े बताते हैं कि दहेज की समस्या उत्तर भारत में सबसे ज्यादा गंभीर है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, दहेज उत्पीड़न के कारण महिलाओं को शारीरिक और मानसिक हिंसा का सामना करना पड़ता है। एक सर्वे में पाया गया कि 18 से 49 साल की 29 प्रतिशत महिलाओं ने अपने पति से शारीरिक या यौन हिंसा झेली। 21.3 प्रतिशत महिलाओं को कटने या चोट लगने की शिकायत थी, जबकि 6.5 प्रतिशत को गहरी चोटें, जैसे टूटी हड्डियां या गहरे घाव, मिले। 3.4 प्रतिशत महिलाओं के शरीर पर जलने के गंभीर निशान पाए गए। ये आंकड़े दहेज उत्पीड़न की भयावहता को दिखाते हैं।

उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में दहेज हत्याएं सबसे ज्यादा हैं। उत्तर प्रदेश में पिछले पांच सालों में 11,488 दहेज हत्याएं दर्ज हुईं, यानी हर दिन औसतन छह महिलाएं इस हिंसा का शिकार बनीं। बिहार और मध्य प्रदेश भी इस मामले में पीछे नहीं हैं। दिल्ली जैसे बड़े शहरों में भी दहेज हत्याएं आम हैं, जहां 2022 में 30 प्रतिशत मामले दर्ज हुए।

कानून के बावजूद दहेज हत्याओं के मामलों में सजा की दर बहुत कम है। 2022 में 60,577 दहेज हत्या के मामले अदालतों में लंबित थे, लेकिन केवल 33 प्रतिशत मामलों में सजा हुई। ज्यादातर मामले सबूतों की कमी, गवाहों के मुकरने या देरी से जांच के कारण अटक जाते हैं। निक्की भाटी जैसे मामलों ने समाज और कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। दहेज प्रथा को खत्म करने के लिए जागरूकता और सख्ती दोनों की जरूरत है।

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