Lapwing Eggs Predict Rainfall: उत्तराखंड से लेकर बिहार तक इस बार मानसून ने भारी तबाही मचाई है, लेकिन गांव के किसानों का कहना है कि एक छोटी सी चिड़िया ने महीनों पहले इसकी चेतावनी दे दी थी। टिटिहरी नाम की इस चिड़िया के अंडों से ग्रामीण बारिश का अंदाजा लगाते हैं। इस बार टिटिहरी ने चार अंडे दिए, जो भारी बारिश और बाढ़ का संकेत थे। आइए जानते हैं इस अनोखी मान्यता की पूरी कहानी।
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बादल फटने से शुरू हुई तबाही का सिलसिला उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और हरियाणा तक पहुंच गया। कई शहरों में सड़कों पर पानी भर गया, नदियां उफान पर हैं और स्कूलों को बंद करना पड़ा। जम्मू-कश्मीर में भी बाढ़ का खतरा बना हुआ है। मौसम विभाग ने भले ही बारिश की भविष्यवाणी की हो, लेकिन गांव के लोग कहते हैं कि टिटिहरी नाम की चिड़िया ने महीनों पहले ही इस तबाही का संकेत दे दिया था।
टिटिहरी एक ऐसी चिड़िया है, जिसे ग्रामीण इलाकों में मौसम का वैज्ञानिक माना जाता है। यह चिड़िया खेतों, नदियों और तालाबों के आसपास रहती है। इसकी खास बात यह है कि यह कभी पेड़ पर घोंसला नहीं बनाती। टिटिहरी जमीन पर ही घोंसला बनाती है और वहीं अपने अंडे देती है। गांव वालों का मानना है कि टिटिहरी के अंडों की संख्या से मानसून की बारिश का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह मान्यता सालों से चली आ रही है और लोग कहते हैं कि यह कभी गलत नहीं होती।
बुंदेलखंड के बांदा जिले के औगासी गांव के किसान दयाशंकर मिश्र बताते हैं कि अगर टिटिहरी एक अंडा देती है, तो उस साल बारिश कम होती है या सूखा पड़ सकता है। ऐसे में किसान खेतों की सिंचाई के लिए बोरवेल या नहरों का इंतजाम करते हैं। अगर टिटिहरी दो अंडे देती है, तो बारिश सामान्य रहती है, जो फसलों के लिए अच्छी होती है। तीन अंडों का मतलब है झमाझम बारिश, जिससे खेती को फायदा होता है। लेकिन अगर टिटिहरी चार अंडे देती है, तो यह भारी बारिश और बाढ़ का संकेत होता है।
इस साल टिटिहरी ने चार अंडे दिए थे। औगासी गांव के गोरेलाल तिवारी कहते हैं कि उनके बुजुर्ग टिटिहरी को भगवान का दूत मानते थे। इस बार की भारी बारिश और बाढ़ ने उनकी बात को सच साबित कर दिया। पिछले तीन महीनों से लगातार बारिश हो रही है। यमुना और गंगा जैसी नदियां उफान पर हैं। उत्तर प्रदेश में यमुना का जलस्तर 204 मीटर को पार कर गया, जिससे कई इलाकों में बाढ़ आ गई। मध्य प्रदेश में 12 जिलों में बाढ़ ने तबाही मचाई, जिसमें 3,500 से ज्यादा लोग प्रभावित हुए।
गांव वालों का कहना है कि जब मौसम विभाग जैसी सुविधाएं नहीं थीं, तब टिटिहरी के अंडों से ही बारिश का अनुमान लगाया जाता था। किसान उसी के हिसाब से बीज खरीदते और खेती की तैयारी करते थे। इस साल की तबाही ने एक बार फिर इस मान्यता को मजबूत किया है। टिटिहरी के चार अंडों ने पहले ही बता दिया था कि इस बार मानसून लंबा चलेगा और बाढ़ जैसे हालात बनेंगे।
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