Palakkad Municipality Row: केरल का पलक्कड़ शहर इन दिनों एक बड़े विवाद की चपेट में है। पलक्कड़ नगर पालिका (Palakkad Municipality) में एक विशेष स्कूल और कौशल विकास केंद्र का नाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक डॉ. के.बी. हेडगेवार के नाम पर रखने का फैसला राजनीतिक तूफान का कारण बन गया है। इस मुद्दे ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई(एम)) के बीच तीखी नोकझोंक को जन्म दिया। 29 अप्रैल 2025 को पलक्कड़ नगर पालिका (Palakkad Municipality) की बैठक में यह विवाद उस समय चरम पर पहुंच गया, जब पार्षदों के बीच नारेबाजी, तख्तियां लहराने और हिंसक झड़पें हुईं। यह घटना न केवल स्थानीय राजनीति, बल्कि पूरे केरल में चर्चा का विषय बन गई है। आइए, इस विवाद की पूरी कहानी को समझें।
विवाद की जड़: हेडगेवार के नाम पर केंद्र
पलक्कड़ नगर पालिका, जो वर्तमान में बीजेपी के नेतृत्व में है, ने दिव्यांग व्यक्तियों के लिए एक कौशल विकास केंद्र और विशेष स्कूल की स्थापना का फैसला लिया। इस केंद्र का नाम आरएसएस के संस्थापक डॉ. के.बी. हेडगेवार के नाम पर रखने का प्रस्ताव 11 अप्रैल 2025 को आयोजित एक समारोह में सामने आया। इस फैसले ने तुरंत ही विपक्षी दलों—यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) और लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ)—का गुस्सा भड़का दिया। दोनों दलों ने इस कदम को पलक्कड़ का “भगवाकरण” करने की कोशिश करार दिया और इसका कड़ा विरोध शुरू कर दिया।
विपक्षी पार्षदों का कहना था कि हेडगेवार का नाम एक सामाजिक संस्थान के लिए उपयुक्त नहीं है, क्योंकि उनकी विचारधारा को वे सांप्रदायिक मानते हैं। यूडीएफ और एलडीएफ के पार्षदों ने तख्तियां लहराईं, जिन पर अंग्रेजी में लिखा था, “हू इज दिस हेडगेवार?” (यह हेडगेवार कौन है?)। मलयालम में लिखी तख्तियों में बीजेपी से इस फैसले के लिए माफी मांगने की मांग की गई। विरोध के दौरान नारेबाजी और हंगामा इतना बढ़ गया कि परिषद हॉल रणक्षेत्र में बदल गया।
बीजेपी का पलटवार: जिन्ना स्ट्रीट का मुद्दा
विवाद को और हवा तब मिली, जब बीजेपी ने विपक्ष के विरोध का जवाब एक नई मांग के साथ दिया। बीजेपी पार्षदों ने पलक्कड़ में मौजूद एक सड़क, जिसे स्थानीय लोग “जिन्ना स्ट्रीट” के नाम से जानते हैं, का नाम बदलकर इसका मूल नाम “कलिक्कारा स्ट्रीट” करने की मांग उठाई। बीजेपी का कहना था कि अगर विपक्ष हेडगेवार के नाम पर आपत्ति जता रहा है, तो उन्हें भी पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना के नाम पर सड़क का नामकरण स्वीकार्य नहीं है।
बीजेपी के एक पार्षद ने नगर पालिका के बाहर पत्रकारों से कहा कि उन्होंने पहले कभी जिन्ना स्ट्रीट के मुद्दे को नहीं उठाया, लेकिन विपक्ष के विरोध ने उन्हें यह मांग उठाने के लिए मजबूर किया। बीजेपी पार्षदों ने तख्तियां लहराईं, जिनमें जिन्ना स्ट्रीट का नाम बदलने की मांग प्रमुखता से लिखी थी। इस जवाबी कार्रवाई ने विवाद को और जटिल बना दिया, और दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ गया।
नगर पालिका में हिंसक झड़प
29 अप्रैल 2025 को पलक्कड़ नगर पालिका की बैठक में स्थिति तब अनियंत्रित हो गई, जब यूडीएफ और एलडीएफ पार्षदों ने हेडगेवार के नाम पर केंद्र का विरोध करने के लिए परिषद हॉल में जोरदार नारेबाजी शुरू की। बीजेपी पार्षदों ने भी जवाबी नारे लगाए और अपनी तख्तियां लहराईं। देखते ही देखते यह नारेबाजी और तख्तीबाजी हिंसक झड़प में बदल गई। टीवी चैनलों पर प्रसारित दृश्यों में पार्षद एक-दूसरे से भिड़ते नजर आए, और हॉल में मौजूद पुलिस को दोनों समूहों को अलग करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
पुलिस ने हस्तक्षेप कर पार्षदों को परिषद हॉल से बाहर ले जाया, लेकिन प्रदर्शन यहीं खत्म नहीं हुआ। यूडीएफ और एलडीएफ पार्षदों ने हॉल के बाहर भी अपना विरोध जारी रखा, जबकि बीजेपी पार्षदों ने भी अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी की। इस हंगामे के बीच बीजेपी ने बहुमत के आधार पर केंद्र का नाम हेडगेवार के नाम पर रखने का प्रस्ताव पारित कर दिया, जिससे विवाद और गहरा गया।
विपक्ष का रुख और प्रदर्शन
यूडीएफ और एलडीएफ ने इस मुद्दे को केवल नगर पालिका तक सीमित नहीं रखा। कांग्रेस की युवा शाखा और वामपंथी संगठन डीवाईएफआई ने भी सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किए। डीवाईएफआई के एक स्थानीय नेता ने कहा कि वे इस परियोजना के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन केंद्र का नाम हेडगेवार के नाम पर रखने की अनुमति नहीं देंगे। युवा कांग्रेस के एक नेता ने इसे पलक्कड़ का भगवाकरण करने की कोशिश बताया और कहा कि वे इसे किसी भी कीमत पर नहीं होने देंगे।
11 अप्रैल को जब केंद्र की आधारशिला रखने का समारोह आयोजित हुआ था, तब भी डीवाईएफआई और युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया था। पुलिस को प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करना पड़ा और उन्हें वहां से हटाना पड़ा, तभी समारोह शुरू हो सका। इन प्रदर्शनों ने पलक्कड़ में तनाव का माहौल बना दिया, और यह मुद्दा अब स्थानीय से राज्य स्तर की राजनीति तक पहुंच गया है।
बीजेपी का पक्ष
पलक्कड़ नगर पालिका के उपाध्यक्ष और बीजेपी नेता कृष्ण दास ने इस विवाद पर अपनी बात रखते हुए कहा कि नगर पालिका दिव्यांगों के लिए एक महत्वपूर्ण कौशल विकास केंद्र शुरू करना चाहती थी, लेकिन कांग्रेस और सीपीआई(एम) ने इस समारोह को भी बाधित करने की कोशिश की। उन्होंने विपक्ष पर राजनीतिक लाभ के लिए मुद्दे को तूल देने का आरोप लगाया। बीजेपी का कहना है कि हेडगेवार एक राष्ट्रीय व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने देश के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया, और उनके नाम पर केंद्र का नामकरण गर्व की बात है।
पलक्कड़ की सामाजिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि
पलक्कड़, केरल का एक महत्वपूर्ण शहर है, जो अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के लिए जाना जाता है। यह शहर बीजेपी के लिए केरल में एक मजबूत आधार रहा है, लेकिन कांग्रेस और वामपंथी दलों का भी यहां अच्छा प्रभाव है। इस विवाद ने स्थानीय स्तर पर राजनीतिक ध्रुवीकरण को और बढ़ा दिया है। जिन्ना स्ट्रीट का मुद्दा उठने से यह विवाद केवल हेडगेवार के नाम तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह ऐतिहासिक और वैचारिक टकराव का रूप ले चुका है।
पलक्कड़ में जिन्ना स्ट्रीट का नाम वर्षों से स्थानीय लोगों के बीच प्रचलित है, लेकिन इसका आधिकारिक नाम बदलने की मांग नई है। यह मांग बीजेपी की रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है, जिसका मकसद विपक्ष के विरोध को जवाब देना और अपने समर्थकों को एकजुट करना है।
पलक्कड़ नगर पालिका में हुआ यह हंगामा केवल एक स्थानीय घटना नहीं है। यह केरल की राजनीति में वैचारिक टकराव का एक बड़ा प्रतीक बन गया है। हेडगेवार के नाम पर केंद्र और जिन्ना स्ट्रीट के नामकरण जैसे मुद्दों ने बीजेपी, कांग्रेस, और वामपंथी दलों के बीच की खाई को और गहरा कर दिया है। यह विवाद अब सोशल मीडिया और समाचार चैनलों पर भी छाया हुआ है, जहां लोग अपने-अपने पक्ष में तर्क दे रहे हैं।
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