महाराष्ट्र

Pune Indrayani Bridge Collapse: इंद्रायणी नदी पर पुराना पुल ढहा, 4 की मौत 32 घायल, मोदी ने फडणवीस से की बात

Pune Indrayani Bridge Collapse: इंद्रायणी नदी पर पुराना पुल ढहा, 4 की मौत 32 घायल, मोदी ने फडणवीस से की बात

Pune Indrayani Bridge Collapse: 15 जून 2025 की दोपहर पुणे के मावल तहसील में इंद्रायणी नदी (Indrayani River) पर एक पुराना लोहे का पुल अचानक ढह गया। यह हादसा उस समय हुआ, जब सैकड़ों पर्यटक इस पुल पर खड़े होकर मॉनसून की बारिश में नदी के तेज बहाव और छोटे-छोटे झरनों का नजारा देख रहे थे। इस दुखद घटना ने चार लोगों की जान ले ली और कई अन्य घायल हो गए। साइप्रस में मौजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुरंत महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से फोन पर बात की और इस पुल हादसे (Bridge Collapse) पर गहरा दुख जताया। इस घटना ने न केवल स्थानीय प्रशासन को हिलाकर रख दिया, बल्कि पूरे देश का ध्यान खींच लिया।

कुंडमाला गांव के पास हुआ यह हादसा उस समय चर्चा में आया, जब स्थानीय लोगों और प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि करीब 125 पर्यटक उस समय पुल पर मौजूद थे। यह पुल, जो लगभग 30 साल पुराना था, पर्यटकों के लिए एक पसंदीदा जगह थी। लोग यहां तस्वीरें लेने और वीडियो बनाने के लिए रुकते थे। लेकिन उस दिन दोपहर 3:30 बजे के आसपास, जब पुल पर भीड़ थी और कुछ लोग सेल्फी लेने में व्यस्त थे, अचानक पुल का मध्य हिस्सा ढह गया। कई लोग तेज बहाव वाली इंद्रायणी नदी (Indrayani River) में बह गए। कुछ स्थानीय लोगों ने तुरंत नदी में कूदकर लोगों को बचाने की कोशिश की, लेकिन नदी का तेज बहाव उनकी कोशिशों को मुश्किल बना रहा था।

जिलाधिकारी जितेंद्र दूदी ने बताया कि जैसे ही हादसे की खबर मिली, 15 मिनट के अंदर राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF), स्थानीय पुलिस, और दमकल विभाग की टीमें मौके पर पहुंच गईं। बचाव कार्य (Rescue Operations) तुरंत शुरू हुआ। क्रेन की मदद से पुल के मलबे को हटाया गया, और गोताखोरों ने नदी में फंसे लोगों की तलाश की। अब तक 40 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, जिनमें से 32 घायल हैं। छह लोग गंभीर हालत में हैं और उनका इलाज अस्पताल में चल रहा है। चार लोगों के शव बरामद किए गए, और कुछ लोग अभी भी लापता हैं।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस हादसे पर गहरा दुख जताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि यह एक दुखद घटना है, और वे पीड़ित परिवारों के दुख में शामिल हैं। उन्होंने मृतकों के परिवारों के लिए 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और घायलों के इलाज का खर्च उठाने की घोषणा की। फडणवीस ने बताया कि वे लगातार जिला प्रशासन और बचाव दलों के संपर्क में हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग नदी में बह गए हैं, इसलिए उनकी तलाश के लिए युद्धस्तर पर बचाव कार्य (Rescue Operations) चल रहे हैं। NDRF की दो टीमें और स्थानीय प्रशासन दिन-रात काम में जुटा है।

साइप्रस में अपनी आधिकारिक यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फडणवीस से फोन पर बात की। उन्होंने हादसे की पूरी जानकारी ली और केंद्र सरकार की ओर से हर संभव मदद का आश्वासन दिया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी फडणवीस से बात की और मौके पर चल रहे बचाव कार्यों का जायजा लिया। शाह ने कहा कि NDRF की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं और कई लोगों की जान बचाई। उन्होंने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना जताई और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की।

प्रत्यक्षदर्शी अमोल ने बताया कि पुल पांच मिनट तक हिल रहा था, इससे पहले कि वह पूरी तरह ढह गया। उन्होंने कहा कि वे 15 मिनट तक पानी में संघर्ष करते रहे और आखिरकार एक पाइप पकड़कर बाहर निकले। एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी लतिका ने बताया कि उनके साथ उनकी मां और चाचा मौके पर थे। उन्होंने अनुमान लगाया कि कम से कम 50 लोग उस समय पुल पर थे। स्थानीय निवासियों ने बताया कि वे सबसे पहले बचाव के लिए पहुंचे और कई लोगों को नदी से निकाला। लेकिन नदी का तेज बहाव और भारी बारिश ने बचाव कार्य को और मुश्किल बना दिया।

मावल के विधायक सुनील शेलके ने बताया कि यह लोहे का पुल 1992 में बनाया गया था। यह किसानों के लिए बनाया गया था, लेकिन समय के साथ पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया। हाल के दिनों में भारी बारिश के कारण नदी का जलस्तर बढ़ा था, जिसने पुल की नींव को कमजोर कर दिया। उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि पुल जंग खा चुका था और भीड़ के दबाव को सहन नहीं कर पाया। उन्होंने यह भी कहा कि इस हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

पानी संसाधन मंत्री गिरीश महाजन ने स्वीकार किया कि एक नए पुल के लिए 7-8 करोड़ रुपये का टेंडर पास हो चुका था, लेकिन बारिश के कारण काम शुरू नहीं हो सका। पुणे जिला परिषद के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंद्रकांत वाघमारे ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि इस पुल का रखरखाव किसकी जिम्मेदारी थी। इस हादसे ने प्रशासनिक खामियों को भी उजागर किया, क्योंकि स्थानीय लोगों ने पहले ही पुल की जर्जर हालत के बारे में चेतावनी दी थी।

यह हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि पुरानी संरचनाओं की सुरक्षा और पर्यटक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन की कमी को दर्शाता है। कुंडमाला जैसे स्थान, जो मॉनसून में पर्यटकों से गुलजार रहते हैं, वहां सुरक्षा के इंतजाम कितने जरूरी हैं, यह इस घटना ने साफ कर दिया। बचाव दल अभी भी लापता लोगों की तलाश में जुटे हैं, और प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें।

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