भारत की तीन साहित्यिक कृतियों – रामचरितमानस, पंचतंत्र और सहृदयालोक-लोचना को यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर में शामिल किया गया है।
यूनेस्को का मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड प्रोग्राम दुनिया भर की महत्वपूर्ण दस्तावेजी विरासत को सुरक्षित रखने का काम करता है। इस बार भारत की तीन साहित्यिक कृतियों को इस रजिस्टर में जगह मिली है, जो हमारे साहित्य और संस्कृति की समृद्धि को दर्शाता है।
इन कृतियों का महत्व क्या है? रामचरितमानस, पंचतंत्र और सहृदयालोक भारतीय साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं। इनका न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भर में साहित्यिक और सांस्कृतिक महत्व है। रामचरितमानस और पंचतंत्र की कहानियां तो कई देशों में पढ़ी जाती हैं।
कैसे चुनी गईं ये कृतियां? इन कृतियों को उनकी वैश्विक अपील के कारण चुना गया है। रामचरितमानस और पंचतंत्र तो दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों में पढ़ी जाती हैं। वहीं, सहृदयालोक-लोचना को उसके सौंदर्यशास्त्र के लिए चुना गया है।
मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर क्या है? यह यूनेस्को का एक कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य दुर्लभ और लुप्तप्राय दस्तावेजी विरासत की रक्षा करना और लोगों तक उसकी पहुंच सुनिश्चित करना है।
भारतीय साहित्य की इन तीन कृतियों का यूनेस्को की सूची में शामिल होना एक गर्व की बात है। यह हमारी समृद्ध साहित्यिक विरासत को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाता है।
यह पहली बार है जब भारत ने मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक कमेटी (MOWCAP) के लिए नामांकन भेजे हैं और तीनों को स्वीकार कर लिया गया है। इस साल इस सूची में चीन, इंडोनेशिया, मलेशिया, मंगोलिया, फिलीपींस और उज्बेकिस्तान की भी कई कृतियां शामिल की गई हैं।