Business Legend Ratan Tata: रतन टाटा, भारत के सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानित उद्योगपतियों में से एक, जिनकी नेतृत्व क्षमता ने टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई अन्य नेताओं ने गहरा शोक व्यक्त किया। रतन टाटा को हमेशा उनके अद्वितीय निर्णयों और देश के औद्योगिक विकास में योगदान के लिए याद किया जाएगा। आइए, उनके जीवन से जुड़ी 10 अनसुनी बातें जानते हैं, जो कम ही लोग जानते हैं।
रतन टाटा के फैसले जो उन्हें महान बनाते हैं
रतन टाटा के जीवन में कई ऐसे बड़े फैसले थे, जिन्होंने उन्हें देश का ‘कोहिनूर’ बना दिया। रतन टाटा (Ratan Tata) ने टाटा समूह को एक साधारण कंपनी से विश्व स्तर पर ख्याति प्राप्त कंपनी में बदल दिया। 1991 में उन्होंने टाटा समूह की बागडोर संभाली, और उनके नेतृत्व में टाटा समूह का राजस्व 4 बिलियन डॉलर से 100 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। उन्होंने न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी टाटा समूह को मजबूत बनाया।
रतन टाटा ने टाटा समूह का नेतृत्व करते हुए (Leading Tata Group) कई महत्वपूर्ण अधिग्रहण किए, जिनमें ब्रिटिश चाय कंपनी टेटली (2000), यूरोपीय स्टील कंपनी कोरस (2007), और ब्रिटिश कार ब्रांड जगुआर-लैंड रोवर (2008) शामिल हैं। इन महत्वपूर्ण फैसलों ने टाटा समूह को वैश्विक औद्योगिक परिदृश्य में स्थापित किया।
रतन टाटा का निजी जीवन और उनके सिद्धांत
रतन टाटा ने अपने निजी जीवन को हमेशा सादगी से जिया। वे शराब पीने और धूम्रपान करने से पूरी तरह दूर थे। रतन टाटा की सादगी (Ratan Tata’s Simplicity) उनके व्यक्तित्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। उनके निजी जीवन में तीन बार शादी के प्रस्ताव मिले, लेकिन उन्होंने कभी शादी नहीं की। उनकी इस सादगी और आत्मनियंत्रण ने उन्हें और भी खास बना दिया।
रतन टाटा का परिवार भी काफी मशहूर रहा है। उनके दो भाई जिमी और नोएल हैं, और उनकी सौतेली मां सिमोन टाटा भी जीवित हैं। रतन टाटा ने दक्षिण मुंबई के प्रतिष्ठित स्कूलों में शिक्षा ग्रहण की और कई बड़े उद्योगपतियों जैसे अशोक बिड़ला और राहुल बजाज उनके सहपाठी रहे।
रतन टाटा की विरासत: टाटा समूह का अडिग योगदान
रतन टाटा का जीवन और उनका काम टाटा समूह में उनके योगदान से हमेशा याद किया जाएगा। 1962 में एक सहायक के रूप में टाटा इंडस्ट्रीज में शामिल होने के बाद, उन्होंने 29 वर्षों तक कड़ी मेहनत की और अंततः 1991 में टाटा संस के अध्यक्ष बने। उनके नेतृत्व में टाटा समूह का विश्व स्तर पर विस्तार (Global Expansion of Tata Group) हुआ और कंपनी कई नए ऊंचाइयों पर पहुंची।
रतन टाटा को 2008 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह का नाम एक अग्रणी ऑटोमोबाइल निर्माता के रूप में उभरा, और उनकी यह विरासत सदियों तक जीवित रहेगी।
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