पाकिस्तान में खड़ी ट्रेन (Train Stuck in Pakistan) को लेकर आज भी कई सवाल खड़े होते हैं। भारतीय ट्रेन के डिब्बे पिछले पांच साल से लाहौर में जंग खा रहे हैं। इनकी हालत इतनी खराब हो चुकी है कि अब ये बोगियां सड़ने की कगार पर पहुंच गई हैं। इस अनोखी स्थिति ने न केवल आम जनता बल्कि विशेषज्ञों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। आइए, जानते हैं कि यह ट्रेन पाकिस्तान में कैसे फंसी और क्या है इसके पीछे की कहानी।
समझौता एक्सप्रेस की शुरुआत और उद्देश्य
1971 में हुए शिमला समझौते के दौरान इंदिरा गांधी और जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच हुई वार्ता में दोनों देशों के बीच एक नियमित रेल सेवा शुरू करने का विचार सामने आया। इसे समझौता एक्सप्रेस की कहानी (Story of Samjhauta Express) के रूप में जाना जाता है। 22 जुलाई 1976 को अटारी और लाहौर के बीच पहली बार यह सेवा शुरू की गई।
शुरुआत में, समझौता एक्सप्रेस रोज़ाना चलती थी। लेकिन 1994 में इसे सप्ताह में सिर्फ दो बार चलाने का फैसला लिया गया। यह ट्रेन भारत और पाकिस्तान के बीच शांति और सहयोग का प्रतीक मानी जाती थी।
2019 में क्यों बदली कहानी?
2019 में, जब भारत ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया, तो पाकिस्तान ने इसका कड़ा विरोध किया। इसी दौरान, दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा और समझौता एक्सप्रेस को बंद कर दिया गया।
जब रेल सेवा को रोका गया, उस समय समझौता एक्सप्रेस की बोगियां (Samjhauta Express Coaches) पाकिस्तान के लाहौर में खड़ी थीं। ये 11 डिब्बे अब भी वहीं पर हैं, जबकि भारत में अटारी रेलवे स्टेशन पर पाकिस्तान की ट्रेन के 16 डिब्बे खड़े हैं।
समझौते की शर्तें और विवाद
भारत और पाकिस्तान के बीच रेलवे समझौते के अनुसार, यह तय किया गया था कि ट्रेन के डिब्बे और इंजन अदला-बदली के आधार पर उपयोग किए जाएंगे। जुलाई से दिसंबर तक भारतीय बोगियां पाकिस्तान जाएंगी और इंजन पाकिस्तान का होगा। जनवरी से जून तक पाकिस्तान की बोगियां भारत आएंगी।
जब सेवा बंद हुई, उस वक्त भारतीय डिब्बे पाकिस्तान में थे। पाकिस्तान का कहना है कि भारत अपनी ट्रेन को खुद वापस ले जाए। जबकि भारत इस पर अड़ा है कि पाकिस्तान को अपने इंजन के साथ ट्रेन लौटानी चाहिए।
समझौता एक्सप्रेस: वर्तमान स्थिति
लाहौर में खड़ी भारतीय बोगियां अब जंग खा रही हैं। वाघा रेलवे स्टेशन के मैनेजर के मुताबिक, पाकिस्तान ने भारत को संदेश भेजा है कि इन बोगियों को धकेलकर भारतीय सीमा तक लाया जाए। लेकिन भारत इस मामले को समझौते के तहत सुलझाना चाहता है।
दूसरी ओर, भारत में खड़ी पाकिस्तान की ट्रेन के डिब्बों की हालत भी खराब हो रही है। यह विवाद न केवल दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव को दिखाता है, बल्कि यह भी बताता है कि सहयोग की उम्मीदें कैसे सियासी खींचतान में उलझ जाती हैं।