भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने हाल ही में फिनफ्लुएंसरों के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। इन नियमों का उद्देश्य उन गैर-पंजीकृत फिनफ्लुएंसरों पर नियंत्रण रखना है जो निवेशकों को भ्रामक जानकारी देकर प्रभावित कर सकते हैं। सेबी के इस कदम के तहत कई शेयर और जिंस ब्रोकरों का पंजीकरण भी रद्द कर दिया गया है। इस लेख में हम इस सख्ती के कारणों और इसके प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
फिनफ्लुएंसर और उनके संभावित जोखिम
फिनफ्लुएंसर वे लोग होते हैं जो इंटरनेट और डिजिटल मीडिया के माध्यम से वित्तीय जानकारी देकर लोगों को प्रभावित करते हैं। हालांकि, कई बार ये लोग बिना पंजीकरण के निवेश संबंधी सलाह देते हैं, जिससे निवेशक गलत जानकारी के आधार पर निर्णय ले सकते हैं। ऐसे गैर-पंजीकृत फिनफ्लुएंसरों से जुड़े संभावित जोखिमों को ध्यान में रखते हुए, सेबी ने उनके खिलाफ सख्त नियम लागू किए हैं।
सेबी के नए नियम और अधिसूचनाएं
सेबी ने तीन अलग-अलग अधिसूचनाओं के माध्यम से नए मानदंडों की घोषणा की है। इन अधिसूचनाओं के अनुसार, सेबी के नियमन के तहत आने वाली कोई भी इकाई या उसका एजेंट किसी गैर-पंजीकृत व्यक्ति के साथ सीधे या परोक्ष रूप से कोई संबंध नहीं रख सकता जो शेयर या प्रतिभूतियों के बारे में सलाह देता हो। सेबी के इस कदम का मुख्य उद्देश्य निवेशकों को भ्रामक सलाह से बचाना और फिनफ्लुएंसरों के क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है।
शेयर और जिंस ब्रोकरों का पंजीकरण रद्द
सेबी ने 39 शेयर ब्रोकरों और 7 जिंस ब्रोकरों का पंजीकरण रद्द कर दिया है। इन ब्रोकरों का पंजीकरण इसलिए रद्द किया गया क्योंकि वे पंजीकरण की अनिवार्यताओं को पूरा नहीं कर पाए थे। इसके अलावा, 22 ‘डिपॉजिटरी’ प्रतिभागियों का पंजीकरण भी रद्द कर दिया गया है, जो अब किसी भी ‘डिपॉजिटरी’ से नहीं जुड़े हैं। सेबी ने कहा कि इन इकाइयों का पंजीकरण रद्द करके ‘अनजान’ निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है।
सेबी का उद्देश्य और प्रभाव
सेबी के इस कदम का मुख्य उद्देश्य फिनफ्लुएंसरों के माध्यम से हो रहे भ्रामक प्रचार को रोकना और निवेशकों की सुरक्षा करना है। इस निर्णय के बाद म्युचुअल फंड कंपनियां, पंजीकृत निवेश सलाहकार और स्टॉक ब्रोकर अब फिनफ्लुएंसरों के साथ साझेदारी नहीं कर पाएंगे, जिससे निवेशकों को पारदर्शी और सही जानकारी प्राप्त होगी।
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