मुंबई के शिवाजी नगर थाने की पुलिस की करतूत सुनकर आपका भी खून खौल जाएगा। चोरी के शक में पकड़े गए नाबालिग बच्चों को पुलिस वालों ने बेरहमी से पीटा और रात भर थाने में बंद रखा। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए ‘महाराष्ट्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग’ ने पुलिस को खूब खरी-खोटी सुनाई है।
महाराष्ट्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग को खबर मिली थी कि शिवाजी नगर थाने में चोरी के शक में 5 बच्चों को पकड़ा गया था। इनमें 4 लड़कियां हैं और एक लड़का। पुलिस ने बच्चों के साथ मौखिक और शारीरिक दुर्व्यवहार किया। इस मामले की सुनवाई करते हुए आयोग ने पुलिस को बच्चों के साथ किए गए बर्ताव के लिए कड़ी फटकार लगाई है। आयोग ने पुलिस से कहा है कि बच्चों के अधिकारों का हनन किसी भी हालत में माफ नहीं किया जाएगा और इस मामले की जांच 7 दिनों के अंदर पूरी करके रिपोर्ट सौंपी जाए।
आयोग की अध्यक्ष, सुसीबेन शाह ने कहा कि बच्चे पैदाइशी अपराधी नहीं होते, हालात उन्हें मजबूर कर देते हैं। ऐसे में समाज के हर वर्ग की ये ज़िम्मेदारी बनती है कि बच्चों को सही राह दिखाई जाए।
जांच में ये सामने आया है कि शिकायतकर्ता बच्चों को जानता तक नहीं था, फिर भी पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया और पिटाई की।
11 साल के एक लड़के को तो पुलिस ने रात भर थाने में बंद रखा। ये बच्चे परधी समुदाय से हैं और 8 मार्च को पुलिस ने इन्हें एक औरत के पर्स से 63000 रुपए चुराने के आरोप में उठाया था। पूछताछ के दौरान पुलिस ने बच्चों के माता-पिता को भी साथ नहीं रखा। 11 से 15 साल के इन बच्चों को लाठी-डंडों से हाथ, पैर, और पीठ पर खूब मारा गया। एक लड़की को पुलिसवाले ने कपड़े उतारकर चेक करने की भी कोशिश की!
‘चाइल्ड सेफ़्टी फोरम’ नाम की संस्था ने इन बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया जहां उनके शरीर पर चोट के निशान मिले। मामला अब बाल कल्याण समिति को सौंप दिया गया है और समिति ने पुलिस को कार्रवाई के आदेश दिए हैं।