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महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या से दुखी हुए शरद पवार, सरकार से की ये मांग

महाराष्ट्र
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महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और विदर्भ क्षेत्र में किसानों की आत्महत्या की बढ़ती संख्या ने एक बार फिर चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। हाल ही में, किसानों की दुर्दशा पर चिंता जताते हुए शरद पवार ने केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को किसानों की मदद के लिए ठोस नीतियां बनानी चाहिए।

बारामती में पत्रकारों से बातचीत के दौरान पवार ने कहा कि मराठवाड़ा और विदर्भ से मिली जानकारी चिंताजनक है। उन्होंने कहा, “हम अन्य क्षेत्रों से भी डेटा एकत्र कर रहे हैं। केंद्र सरकार को किसानों की मदद के लिए एक स्पष्ट नीति तैयार करनी चाहिए।” राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार, साल 2024 में महाराष्ट्र में 2,635 किसानों ने आत्महत्या की है। ये आंकड़ा किसानों की बदहाली की गंभीरता को दर्शाता है।

राजनीतिक गलियारों में चर्चा
शरद पवार का ये बयान ऐसे समय में आया है, जब जयंत पाटिल के अजित पवार की पार्टी में शामिल होने की अटकलें चल रही हैं। कुछ दिन पहले जयंत पाटिल ने एक कार्यक्रम में कहा था कि उनके भविष्य के बारे में कुछ भी निश्चित नहीं है। इसके बाद ये चर्चा तेज हो गई कि वो अपनी पार्टी (NCP-SP) छोड़ सकते हैं। हालांकि, शुक्रवार को बारामती में एक कार्यक्रम के दौरान जयंत पाटिल ने शरद पवार से मुलाकात की और कहा कि वो परेशान नहीं हैं। उन्होंने ये भी कहा कि उनके पिछले बयान को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है।

खेती में AI का इस्तेमाल: एक नई क्रांति
शरद पवार ने खेती के क्षेत्र में हो रहे बदलावों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि जल्द ही गन्ने की खेती में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल किया जाएगा। ये तकनीक गन्ने की गुणवत्ता को बढ़ाने में मददगार साबित होगी। पवार ने बताया कि इस प्रक्रिया में कई चीनी मिलें भी शामिल होंगी। चीनी मिलों के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में इस दिशा में एक क्रांतिकारी निर्णय लिया गया है।

बीड जिले की स्थिति पर चिंता
शरद पवार ने बीड जिले की स्थिति पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि बीड कभी एक शांतिपूर्ण जिला था, लेकिन संतोष देशमुख (सरपंच) की हत्या के बाद ये चर्चा में आ गया। पवार ने कहा कि बीड से उनकी पार्टी के छह लोग चुने गए थे, लेकिन कुछ ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया, जिसके परिणाम अब सामने आ रहे हैं।

मोदी सरकार पर निशाना
शरद पवार ने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार किसानों का सम्मान नहीं करती है। पिछले महीने एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार ने कई योजनाओं की घोषणा की है और इसे ‘मोदी की गारंटी’ कहा जाता है, लेकिन इन गारंटी कार्ड पर कोई तारीख नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने किसानों के लिए किए गए वादों को पूरा नहीं किया है।

पवार ने याद दिलाया कि मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान, जब किसान कृषि ऋण के कारण आत्महत्या कर रहे थे, तो तत्कालीन प्रधानमंत्री ने किसानों का 70,000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिया था। उन्होंने कहा कि आज किसान सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार उनकी बात नहीं सुन रही है।

खैर शरद पवार ने इस मुद्दे को उठाकर एक बार फिर सरकार का ध्यान किसानों की ओर खींचा है। अब ये देखना होगा कि केंद्र और राज्य सरकारें इस समस्या का समाधान करने के लिए क्या कदम उठाती हैं। निश्चित रूप से किसानों की बदहाली सिर्फ एक राज्य की समस्या नहीं है, बल्कि ये पूरे देश के लिए चिंता का विषय है।

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