Shinde Deals Blow to Thackeray: महाराष्ट्र की सियासत में इन दिनों हलचल तेज है। विधानसभा चुनाव के बाद उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। मंगलवार को यह सिलसिला फिर देखने को मिला, जब दापोली के पूर्व विधायक संजय कदम और छत्रपति संभाजी नगर के भाऊसाहेब पाटिल चिकटगांवकर जैसे बड़े नामों ने उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना में कदम रखा। उनके साथ मुंबई के तीन पूर्व नगरसेवक, कई जनप्रतिनिधि और सैकड़ों कार्यकर्ता भी शिंदे गुट में शामिल हो गए। इस मौके पर शिंदे ने उद्धव ठाकरे पर तंज कसा और कहा कि जिन्होंने सरकार पर खोखे लेने का आरोप लगाया, उन्हें वोटरों ने खोखे में बंद कर दिया। यह सुनकर हर कोई हैरान रह गया।
शिंदे ने उद्धव की पार्टी के ‘50 खोखे’ वाले ताने का जवाब अपने अंदाज में दिया। उन्होंने कहा कि हमने खोखे नहीं लिए, बल्कि विकास के लिए 3 हजार खोखे यानी 3 हजार करोड़ रुपये दिए हैं। पिछले ढाई साल में विधायकों को अपने इलाकों में काम करने के लिए इतनी बड़ी राशि दी गई। शिंदे का यह बयान साफ करता है कि वे अपनी सरकार के कामकाज को लेकर कितने आश्वस्त हैं। दूसरी तरफ, उद्धव ठाकरे की पार्टी से नेताओं का पलायन (exodus from Shiv Sena UBT) उनके लिए मुश्किलें बढ़ा रहा है। यह देखना दिलचस्प है कि एक के बाद एक नेता शिंदे की शिवसेना को क्यों चुन रहे हैं।
इस मौके पर शिंदे ने संजय कदम की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि संजय कदम बालासाहेब ठाकरे और धर्मवीर आनंद दिघे की शिवसेना में वापस लौटे हैं। कोकण में शिवसेना की ताकत बढ़ रही है। वहां सिर्फ एक सीट को छोड़कर बाकी सभी पर महायुति के विधायक जीते हैं। शिंदे ने कहा कि कोकण की जनता ने हमेशा बालासाहेब और शिवसेना से प्यार दिखाया है। मंत्री उदय सामंत, योगेश कदम और रामदास कदम जैसे नेता पिछले कई सालों से वहां काम कर रहे हैं। अब संजय कदम के आने से दापोली में शिवसेना की पकड़ और मजबूत होगी। शिंदे का यह दावा कोकण में उनकी पार्टी की बढ़ती ताकत को दिखाता है।
शिंदे ने यह भी कहा कि जो लोग जनता का भला चाहते हैं, वे शिवसेना (UBT) में नहीं टिकेंगे। उनका इशारा साफ था कि असली शिवसैनिक उनके साथ आएंगे। इस दौरान मुंबई के भांडुप से उमेश पाटील, चेंबूर से अंजली नाईक और गोरेगांव से लोचना चव्हाण जैसे पूर्व नगरसेवकों ने भी शिंदे गुट का दामन थामा। उनके साथ कई पदाधिकारी, शाखा प्रमुख और महिला कार्यकर्ता भी शामिल हुए। यह देखकर लगता है कि शिंदे की शिवसेना न सिर्फ विधायकों, बल्कि जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को भी अपनी ओर खींच रही है।
छत्रपति संभाजी नगर में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। वहां के वैजापुर और गंगापुर के विधायक रमेश बोरनारे की कोशिशों से पूर्व विधायक भाऊसाहेब पाटिल चिकटगांवकर शिंदे गुट में आए। उनके साथ पूर्व नगराध्यक्ष साबीर खान, जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष दिनकर बापू पवार और कई अन्य नेता भी शामिल हुए। यह सिलसिला बताता है कि शिंदे की शिवसेना पूरे महाराष्ट्र में अपनी जड़ें मजबूत कर रही है। खासकर कोकण और संभाजी नगर जैसे इलाकों में उनकी पकड़ बढ़ती जा रही है।
शिंदे ने कोकण के लोगों को भरोसा दिलाया कि वहां के युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार दिया जाएगा। उनका कहना था कि कोकण के भूमिपुत्रों को अब बाहर नहीं भटकना पड़ेगा। यह वादा कोकण की जनता के लिए बड़ी राहत की बात हो सकती है। साथ ही, उन्होंने दावा किया कि संजय कदम और रामदास कदम जैसे नेताओं के एक साथ आने से दापोली में शिवसेना का दबदबा और बढ़ेगा। यह बात साफ है कि शिंदे अपनी पार्टी को मजबूत करने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं।
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