महाराष्ट्र में शिवाजी की मूर्ति गिरने पर एमवीए का आक्रोश: महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने की घटना ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाडी (एमवीए) ने इस घटना को लेकर केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए विरोध प्रदर्शन किया। इस आक्रोश ने ‘जूता मारो आंदोलन’ के रूप में जोर पकड़ा, जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी की माफी को अहंकार से भरी बताया गया। इस लेख में हम इस पूरे मामले का विस्तार से विश्लेषण करेंगे और एमवीए के विरोध के प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा करेंगे।
शिवाजी की मूर्ति गिरने की घटना और उसकी प्रतिक्रिया
26 अगस्त 2024 को, सिंधुदुर्ग जिले के मालवण तहसील में स्थित राजकोट किले में शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिर गई। यह प्रतिमा 17वीं सदी के महान मराठा योद्धा की थी, जिसका अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौसेना दिवस के मौके पर दिसंबर 2023 में किया था। मूर्ति गिरने की घटना को एमवीए नेताओं ने शिवाजी महाराज का अपमान बताया और इसके लिए भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहराया।
प्रधानमंत्री की माफी पर उठे सवाल
एमवीए नेताओं ने पीएम मोदी द्वारा दी गई माफी को अहंकार से भरी बताते हुए कहा कि इसमें वास्तविक पछतावे का अभाव है। शिवसेना (यूबीटी) के सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने कहा कि प्रधानमंत्री की माफी में अहंकार की बू है, जो महाराष्ट्र के लोगों के लिए अस्वीकार्य है। वहीं, एनसीपी नेता शरद पवार ने इसे भ्रष्टाचार का परिणाम बताते हुए केंद्र और राज्य सरकार की आलोचना की।
विरोध प्रदर्शन और एमवीए की रणनीति
एमवीए ने इस घटना को लेकर रविवार को दक्षिण मुंबई में ‘जूता मारो आंदोलन’ आयोजित किया, जिसमें हुतात्मा चौक से गेटवे ऑफ इंडिया तक मार्च किया गया। इस मार्च में शामिल होने वाले प्रमुख नेताओं में उद्धव ठाकरे, शरद पवार, और कांग्रेस प्रदेश प्रमुख नाना पटोले शामिल थे। उन्होंने इस घटना को लेकर शिंदे सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और कहा कि महाराष्ट्र की जनता इस अपमान को कभी नहीं भूलेगी।
शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने की घटना ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई चिंगारी सुलगा दी है। एमवीए के इस विरोध से स्पष्ट है कि आगामी विधानसभा चुनावों में यह मुद्दा प्रमुखता से उभरेगा। एमवीए नेताओं ने इस घटना को शिवाजी प्रेमियों का अपमान बताते हुए भाजपा और शिंदे सरकार पर जमकर हमला बोला है। अब देखना यह है कि यह विरोध किस दिशा में जाता है और इसका राजनीतिक परिदृश्य पर क्या प्रभाव पड़ता है।
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