महाराष्ट्र

शिवाजी महाराज की प्रतिमा विवाद: कला, राजनीति और भ्रष्टाचार का त्रिकोण

शिवाजी महाराज की प्रतिमा विवाद: कला, राजनीति और भ्रष्टाचार का त्रिकोण
शिवाजी महाराज की प्रतिमा का विवाद: महाराष्ट्र में इन दिनों एक अजीब सी स्थिति बन गई है। जिस शिवाजी महाराज को लोग इतना मानते हैं, उनकी ही प्रतिमा गिरने से हंगामा मच गया है। ये सिर्फ एक मूर्ति गिरने की बात नहीं है, बल्कि इसमें कई पेंच फंसे हुए हैं।

मूर्तिकार की गिरफ्तारी: 10 दिन का इंतजार

सबसे पहले बात करते हैं मूर्तिकार जयदीप आप्टे की। 24 साल का ये नौजवान पहले सिर्फ 2 फीट तक की छोटी-छोटी मूर्तियां बनाता था। फिर अचानक उसे 35 फीट ऊंची शिवाजी महाराज की प्रतिमा बनाने का काम मिल गया। लेकिन जब प्रतिमा गिर गई, तो वो फरार हो गया।

पुलिस ने उसे ढूंढने के लिए 7 टीमें लगा दीं। मुंबई से लेकर कोल्हापुर तक उसकी तलाश हुई। आखिरकार 10 दिन बाद उसे ठाणे से पकड़ लिया गया। अब सवाल ये उठ रहा है कि इतने दिन क्यों लगे? क्या वो कोई बड़ा अपराधी था जिसे पकड़ना इतना मुश्किल था?

प्रोजेक्ट की लागत: 236 करोड़ का सवाल

अब बात करते हैं पैसों की। कांग्रेस का कहना है कि इस प्रतिमा के लिए 236 करोड़ रुपये दिए गए थे। लेकिन खर्च सिर्फ 1.5 करोड़ हुआ। तो बाकी के 234.5 करोड़ कहां गए? ये एक बड़ा सवाल है जिसका जवाब अभी तक किसी के पास नहीं है।

परमिशन का पेंच: 6 फीट vs 35 फीट

और एक दिलचस्प बात ये है कि मूर्तिकार ने शुरू में सिर्फ 6 फीट की प्रतिमा बनाने की इजाजत ली थी। फिर कैसे वो 35 फीट की प्रतिमा बना बैठा? क्या किसी ने इस बदलाव पर ध्यान नहीं दिया?

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप

जैसा कि अक्सर होता है, इस मामले में भी राजनीति शुरू हो गई है। शिवसेना का एक धड़ा कह रहा है कि मूर्तिकार मुख्यमंत्री के बेटे का दोस्त है। दूसरी तरफ भाजपा कह रही है कि विपक्ष को अब चुप हो जाना चाहिए क्योंकि आरोपी पकड़ लिया गया है।

आगे क्या?

अब जब मूर्तिकार पकड़ा गया है, तो कई सवालों के जवाब मिलने की उम्मीद है। लेकिन क्या सिर्फ एक व्यक्ति को पकड़ने से मामला सुलझ जाएगा? क्या सरकार इस पूरे प्रोजेक्ट की जांच करेगी? और सबसे बड़ा सवाल – क्या शिवाजी महाराज की नई प्रतिमा बनेगी और कब तक?

ये मामला सिर्फ एक प्रतिमा गिरने का नहीं है। इसमें कला, इंजीनियरिंग, पैसा और राजनीति सब कुछ शामिल है। शिवाजी महाराज की प्रतिमा फिर से खड़ी होगी, इसमें कोई शक नहीं। लेकिन क्या इस घटना से कोई सबक सीखा जाएगा? यही असली सवाल है।

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