क्या आपको पता है कि मशहूर स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा एक बार फिर सुर्खियों में हैं? इस बार उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज एक एफआईआर को रद्द करने की मांग को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। यह मामला महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ कथित तौर पर की गई एक आपत्तिजनक टिप्पणी से जुड़ा है, जो कुणाल ने अपने एक कॉमेडी शो के दौरान कही थी। आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।
कुणाल कामरा की याचिका और उनकी दलील
शनिवार, 5 अप्रैल 2025 को कुणाल कामरा ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की। इस याचिका में उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की है। उनका दावा है कि यह कार्रवाई उनके मौलिक अधिकारों का हनन करती है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 19(1)(जी) (पेशे और व्यवसाय की स्वतंत्रता), और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) का हवाला देते हुए कहा कि यह एफआईआर उनके अधिकारों पर हमला है।
कुणाल का कहना है कि एक कॉमेडियन के तौर पर उनकी टिप्पणियां हास्य का हिस्सा थीं, लेकिन इसे गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। क्या वाकई में अभिव्यक्ति की आजादी पर सवाल उठ रहे हैं? यह एक ऐसा सवाल है जो इस मामले को और दिलचस्प बनाता है।
सुनवाई की तारीख और कोर्ट की प्रक्रिया
बॉम्बे हाईकोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक, इस मामले की सुनवाई 21 अप्रैल 2025 को होगी। यह सुनवाई जस्टिस सारंग वी. कोतवाल और जस्टिस श्रीराम एम. मोडक की बेंच के सामने होगी। आपको बता दें कि कुणाल को मुंबई पुलिस ने तीसरी बार समन भेजा था, लेकिन वह 5 अप्रैल को भी पेश नहीं हुए। क्या यह उनकी रणनीति का हिस्सा है या फिर कोई और वजह? यह देखना अभी बाकी है।
एफआईआर का कारण और शिकायत
यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब शिवसेना विधायक मुरजी पटेल ने कुणाल कामरा के खिलाफ शिकायत दर्ज की। यह शिकायत 24 मार्च को मुंबई के MIDC पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी। बाद में इसे जीरो FIR के तौर पर खार पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर कर दिया गया। शिकायत में कहा गया कि कुणाल ने खार के हैबिटैट स्टूडियो में एक कॉमेडी शो के दौरान एकनाथ शिंदे के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की। इस टिप्पणी से न सिर्फ शिंदे की छवि को नुकसान पहुंचा, बल्कि दो राजनीतिक दलों के बीच तनाव भी बढ़ा।
पुलिस ने कुणाल के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 353(1)(b), 353(2) (सार्वजनिक उपद्रव फैलाने वाले बयान), और 356(2) (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया। लेकिन सवाल यह है कि क्या एक कॉमेडी शो में कही गई बात को इतना गंभीरता से लिया जाना चाहिए?
मद्रास हाईकोर्ट से मिली राहत
इससे पहले, कुणाल कामरा को मद्रास हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली थी। कोर्ट ने उन्हें इस मामले में 7 अप्रैल 2025 तक अंतरिम अग्रिम जमानत दी थी। कुणाल ने मद्रास हाईकोर्ट में दलील दी थी कि वह तमिलनाडु के उत्तरी जिले के स्थायी निवासी हैं और महाराष्ट्र में यात्रा के दौरान उन्हें गिरफ्तारी या शारीरिक नुकसान का डर है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उनके खिलाफ यह शिकायत राजनीति से प्रेरित है। वीडियो अपलोड होने के बाद हुई तोड़फोड़ को उन्होंने इस दावे के सबूत के तौर पर पेश किया।
क्या है इस मामले का भविष्य?
कुणाल कामरा का यह मामला न सिर्फ कानूनी, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गया है। क्या यह अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है या फिर सार्वजनिक जीवन में मर्यादा का सवाल? बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला इस मामले में एक नया मोड़ ला सकता है। तब तक हमें 21 अप्रैल की सुनवाई का इंतजार करना होगा।
आपकी राय क्या है?
आप इस पूरे मामले को कैसे देखते हैं? क्या कुणाल कामरा की टिप्पणियां हास्य का हिस्सा थीं या फिर यह एक गंभीर अपराध है? हमें कमेंट में अपनी राय जरूर बताएं। अगर आपको यह ब्लॉग पसंद आया, तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें। अभिव्यक्ति की आजादी और कॉमेडी की सीमा पर यह बहस अभी जारी रहेगी।
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