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बाल मज़दूरी के ख़िलाफ़ लड़ाई का प्रतीक: कैलाश सत्यार्थी की प्रेरक जीवनी अब मराठी में!

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नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के प्रेरक जीवन पर आधरित किताब का मराठी में अनुवाद किया गया है। ‘सामान्य जनतेज़ा नोबेलमैन: कैलाश सत्यार्थी’ नई दिल्ली में विमोचित की गई।

कैलाश सत्यार्थी ने अपना जीवन बाल मज़दूरी के ख़िलाफ़ लड़ने में समर्पित कर दिया है। बाल अधिकारों की रक्षा करने वाले इस सामाजिक कार्यकर्ता ने ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ की स्थापना की। यह संस्था अब तक हज़ारों बच्चों को मज़दूरी के बंधन से मुक्त करा चुकी है।

‘सामान्य जनतेज़ा नोबेलमैन: कैलाश सत्यार्थी’ सिर्फ एक किताब नहीं है, बल्कि प्रेरणा और सामाजिक परिवर्तन के लिए समर्पण की मिसाल है। बाल मज़दूरी एक कड़वी सच्चाई है, जिससे हमारा समाज जूझ रहा है। कैलाश सत्यार्थी का जीवन बताता है कि एक साधारण इंसान भी असाधारण बदलाव ला सकता है।

हेमलता नेसरी ने 87 वर्ष की उम्र में अनुवाद का काम पूर्ण किया। उल्लेखनीय है कि मूल  हिंदी पुस्तक ‘कैलाश सत्यार्थी के जीवन के प्रेरक प्रसंग’ के लेखक शिवकुमार शर्मा हैं।   इस विमोचन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कैलाश सत्यार्थी और उनकी धर्मपत्नी सुमेधा कैलाश उपस्थित रहीं।

सत्यार्थी के संघर्षों और उपलब्धियों की यह गाथा लोगों को बाल मज़दूरी के प्रति जागरूक करेगी। इससे पाठकों के मन में सामाजिक बदलाव की भावना मज़बूत होगी। सत्यार्थी जैसे समर्पित समाज सेवकों का जीवन हम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है।

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