भइया, सीएए वाला कानून तो याद होगा ना? चार साल पहले बहुत झमेला हुआ था इसके ऊपर! खैर, अब सरकार ने इसे लागू कर दिया है। इसका मतलब ये हुआ कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से जो हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई भाई 2014 के पहले भारत आ गए थे, उनको अब यहाँ की नागरिकता मिल सकती है।
अब सवाल ये है कि नागरिकता कैसे मिलेगी? इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना पड़ेगा। जिस पोर्टल पर आवेदन करना है, वो अभी तैयार हो रहा है। पासपोर्ट, वीज़ा वगैरह के कागज़ देने होंगे। अगर भारतीय बीवी या पति हैं, तो उनके कागज़ भी! बिल्कुल पक्का हो कि आप भारत के सच्चे देशभक्त हैं, ये भी बताना होगा!
अगर सब कुछ सही रहा, तो सरकार आपको नागरिकता दे देगी! पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सीएए के खिलाफ हैं, वो इसके लिए भी कोर्ट-कचहरी कर सकते हैं, नए झमेले खड़े कर सकते हैं! सरकार को भी पूरी सावधानी से काम करना होगा, ताकि कोई कानूनी पचड़ा ना हो!
सीएए को लेकर खूब हो-हल्ला हुआ था – विपक्ष वाले कह रहे थे कि ये भेदभाव वाला कानून है, संविधान के खिलाफ है। सरकार का कहना था कि धार्मिक अत्याचार से जो लोग भाग कर आए हैं, ये कानून उनकी मदद के लिए है।
ये कानून तो 2020 में ही आ गया था, पर नागरिकता के नियम अब बने हैं। सरकार कहती है कि जल्दी ही सब साफ़ हो जाएगा। वैसे एक बात ये भी है कि नागरिकता लेना सबकी अपनी मर्ज़ी है – किसी को ज़बरदस्ती नहीं कर सकते!