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उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट पर कड़ा मुकाबला: मनोज तिवारी vs कन्हैया कुमार

उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट पर कड़ा मुकाबला

उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट पर कड़ा मुकाबला: दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में से एक उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट पर इस बार काफी रोचक मुकाबला देखने को मिल रहा है। यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो बार के सांसद मनोज तिवारी और कांग्रेस के चेहरे कन्हैया कुमार के बीच कड़ी टक्कर है। विभिन्न एग्जिट पोल इस सीट पर दोनों उम्मीदवारों को आमने-सामने दिखा रहे हैं।

मनोज तिवारी: भाजपा का एकमात्र पुराना चेहरा

मनोज तिवारी दिल्ली के सात सांसदों में से एकमात्र ऐसे चेहरा हैं, जिन्हें भाजपा ने एक बार फिर चुनावी मैदान में उतारा है। 2014 और 2019 में उत्तर पूर्वी दिल्ली से जीत दर्ज करने वाले तिवारी इस सीट पर लगातार तीसरी बार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। उनके पास क्षेत्र में व्यापक जनाधार है, खासकर पशिचमी उत्तर प्रदेश और बिहार के पूर्वांचल से आए प्रवासियों के बीच।

कन्हैया कुमार: कांग्रेस की नई उम्मीद

दूसरी ओर, कांग्रेस की उम्मीद कन्हैया कुमार लोकसभा चुनावों में अपना पहला प्रयास कर रहे हैं। जेएनयू के पूर्व छात्र नेता रहे कन्हैया 2016 के नक्सलवादी प्रकरण के बाद देशव्यापी पहचान बना चुके हैं। उन्हें कांग्रेस ने दिल्ली में अपना मुख्य चेहरा बनाया है और पार्टी उम्मीद कर रही है कि युवा मतदाताओं की मदद से वह उत्तर पूर्वी लोकसभा सीट पर कमाल कर सकेगी।  

आम आदमी पार्टी का खेमा भी मजबूत

हालांकि, उत्तर पूर्वी दिल्ली में तीसरा खेमा आम आदमी पार्टी का भी मजबूत बना हुआ है। इसके पिछले विधानसभा प्रदर्शन को देखते हुए आम आदमी पार्टी की सीटों की शारीरिक संख्या पर भारी असर हो सकता है। इस तरह, तीसरे मोर्चे के कारण मुकाबला और रोचक हो गया है।

एग्जिट पोल से क्या कहते हैं?

विभिन्न एग्जिट पोल की बात करें तो कन्हैया कुमार और मनोज तिवारी दोनों ही इस सीट पर आमने-सामने दिख रहे हैं। एबीपी-सीवोटर एग्जिट पोल के अनुसार, इस सीट पर तिवारी को थोड़ी बढ़त मिल सकती है जबकि रिपब्लिक टीवी के एग्जिट पोल के अनुसार कन्हैया को थोड़ा आगे बताया गया है। हालांकि, ज्यादातर पोल इस सीट पर कांटे के मुकाबले की बात कर रहे हैं।  

असल परिणाम 4 जून को ही आएंगे लेकिन इतना तय है कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में इस बार रोमांचक मुकाबला देखने को मिलेगा। भाजपा अपना किला बचाने की कोशिश करेगी तो कांग्रेस लंबे समय बाद यहां अपनी छाप छोड़ने की जुगत में लगेगी। दिलचस्प यह भी होगा कि आम आदमी पार्टी कितना असर डालती है। तो, क्या होगा बड़ा उलटफेर या फिर जीत होगी पुरानी झोली में? इसका इंतजार देखना बाकी है।

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