मुंबई के इतिहास में दिलचस्पी रखने वालों के लिए दो प्रदर्शनियों में एक सदी पहले के मुंबई को देखने का मौका मिल रहा है। इन प्रदर्शनियों में पुरानी तस्वीरों के अलावा आर्काइवल डॉक्युमेंट्स और आर्ट डेको स्टाइल की बिल्डिंग्स पर प्रकाश डाला गया है।
मुंबई का इतिहास कई मायनों में नायाब है। ब्रिटिश राज से लेकर आज़ादी के बाद के समय तक मुंबई (तब बॉम्बे) का कायापलट हो गया। मुंबई की कई इमारतें आज भी पिछले दौर की कहानी सुनाती हैं।
मुंबई के इतिहास में दिलचस्पी रखने वालों के लिए दो प्रदर्शनियों में लगभग एक सदी पहले के मुंबई को देखने का एक दुर्लभ मौका मिल रहा है। पहली प्रदर्शनी का नाम ‘ए सिनेमैटिक इमेजिनेशन’ है, जिसका आयोजन छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय के जहांगीर निकोल्सन गैलरी में हो रहा है।

The Bombay Art Society presents 130th All India annual Art Exhibition.(photo:IANSLIFE)
अलकाज़ी फाउंडेशन फॉर द आर्ट्स के सहयोग से आयोजित इस प्रदर्शनी में 1930 और 1940 के दशक के भारतीय सिनेमा की लगभग 150 पुरानी तस्वीरों को प्रदर्शित किया गया है। इनमें फिल्म निर्माण के दौरान के दृश्य, फिल्म स्टिल और प्रचार तस्वीरें शामिल हैं। ये सभी तस्वीरें जर्मन सिनेमैटोग्राफर जोसेफ विर्शिंग ने अपने कैमरे से कैद की थीं।
इससे थोड़ी ही दूरी पर स्थित एशियाटिक सोसाइटी ऑफ मुंबई में 3 मार्च से एक अन्य प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। इसका नाम ‘आर्किटेक्ट्स एंड फर्म्स दैट बिल्ट मॉडर्न बॉम्बे’ है। इस प्रदर्शनी में 1930 से 1950 के दशक के बीच बॉम्बे में शानदार आर्ट डेको-स्टाइल की इमारतों का निर्माण करने वाले 40 लोगों और 20 फर्मों को सम्मानित किया गया है। आर्ट डेको मुंबई ट्रस्ट तथा एशियाटिक सोसाइटी के मुंबई रिसर्च सेंटर की इस प्रदर्शनी में पुरानी तस्वीरों के अलावा, आर्काइवल डॉक्युमेंट्स, डिजाइन ड्राफ्ट, ओरिजिनल प्लान और पर्सनल इफेक्ट्स भी प्रदर्शित किए गए हैं।

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मुंबई में रहने या घूमने वाले लोगों को ये दोनों प्रदर्शनियां पहचानी हुई लगेंगी। विर्शिंग ने 1934 में अभिनेत्री देविका रानी, निर्माता हिमांशु राय और निर्देशक फ्रांज ओस्टेन के साथ मिलकर बॉम्बे टॉकीज स्टूडियो की स्थापना की थी। दूसरी प्रदर्शनी आर्ट डेको स्टाइल की उन बिल्डिंग्स की कहानी कहती हैं, जो आज भी ओवल मैदान, मरीन ड्राइव, शिवाजी पार्क, दादर पारसी कॉलोनी, मोहम्मद अली रोड और माटुंगा की गलियों में खड़ी हैं।
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जोसेफ विर्शिंग के संग्रह को उनके पोते जॉर्ज विर्शिंग ने संभाल कर रखा है। आर्ट डेको मुंबई के संस्थापक और ट्रस्टी अतुल कुमार ने ‘आर्किटेक्ट्स एंड फर्म्स दैट बिल्ट मॉडर्न बॉम्बे’ नामक इस प्रदर्शनी को क्यूरेट किया है।
मुंबई के पुराने स्वरूप से रूबरू होने के लिए ये दोनों प्रदर्शनियां एक बेहतरीन मौका हैं। ये प्रदर्शनियां मुंबई के उस सुनहरे दौर की याद दिलाती हैं, जब एक नए भारत का सपना लोगों के जेहन में था और रचनात्मकता, प्रतिस्पर्धा और व्यावसायिकता पर हावी थी।