महाराष्ट्रमुंबई

Uddhav and Raj Reconciliation: ‘अगर उद्धव और राज साथ आते हैं तो…’ संजय राउत ने मुलाकात पर कह दी बड़ी बात

Uddhav and Raj Reconciliation: 'अगर उद्धव और राज साथ आते हैं तो...' संजय राउत ने मुलाकात पर कह दी बड़ी बात

Uddhav and Raj Reconciliation: महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे परिवार हमेशा से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। लेकिन हाल के कुछ घटनाक्रमों ने इस परिवार के दो प्रमुख चेहरों, उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे, के फिर से साथ आने की अटकलों को जन्म दिया है।

हाल ही में राज ठाकरे के भतीजे की शादी में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक ही मंच पर नजर आए। यह पहली बार नहीं था जब दोनों परिवार किसी पारिवारिक समारोह में साथ दिखे हों। इस मुलाकात के बाद कयास लगने लगे कि क्या यह सिर्फ पारिवारिक मुलाकात थी या इसका महाराष्ट्र की राजनीति पर कोई असर पड़ सकता है?


ठाकरे परिवार का ऐतिहासिक संदर्भ

राज ठाकरे ने 2005 में उद्धव ठाकरे से राजनीतिक मतभेदों के चलते शिवसेना छोड़ दी थी। इसके बाद उन्होंने 2006 में अपनी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) का गठन किया।

हाल के चुनावों में, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर रहा। वहीं, राज ठाकरे की MNS ने एक भी सीट नहीं जीती। इन हालातों में, कई राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अगर ठाकरे परिवार फिर से एकजुट होता है, तो यह महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है।


पारिवारिक कार्यक्रम और राजनीतिक संकेत

मुंबई में ठाकरे परिवार के एक समारोह में राज और उद्धव दोनों अपने परिवारों के साथ मौजूद थे। हालांकि, शिवसेना (UBT) के सांसद संजय राउत ने इस मुलाकात को सिर्फ पारिवारिक बताया। उन्होंने कहा कि इसे राजनीतिक नजरिए से देखना जल्दबाजी होगी।

संजय राउत का कहना था,

“अगर उद्धव और राज साथ आते हैं, तो महाराष्ट्र के लोग खुशी महसूस करेंगे। लेकिन राज ठाकरे की राजनीतिक विचारधारा हमारे लिए एक चुनौती है।”

राज ठाकरे के रोल मॉडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देवेंद्र फडणवीस हैं, जो शिवसेना (UBT) के राजनीतिक विरोधी माने जाते हैं।


क्या राजनीतिक मेल संभव है?

संजय राउत ने स्पष्ट किया कि ठाकरे परिवार के सदस्य एक-दूसरे से मिलते हैं, लेकिन यह जरूरी नहीं कि इसका मतलब राजनीतिक सुलह हो। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि:

  • शरद पवार और अजित पवार राजनीतिक विरोधी होने के बावजूद पारिवारिक संबंध बनाए रखते हैं।
  • पंकजा मुंडे और धनंजय मुंडे अलग-अलग पार्टियों में हैं, फिर भी पारिवारिक रिश्ते निभाते हैं।

इसलिए, उद्धव और राज ठाकरे की पारिवारिक मुलाकात को सिर्फ राजनीति से जोड़कर देखना सही नहीं होगा।


चुनावी प्रदर्शन और आगे की चुनौतियां

पिछले महीने हुए विधानसभा चुनावों में शिवसेना (UBT) को 20 सीटें मिलीं, जबकि MNS एक भी सीट नहीं जीत सकी। इस प्रदर्शन ने दोनों दलों के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर दोनों भाई साथ आते हैं, तो यह न केवल शिवसेना की खोई ताकत को फिर से हासिल करने में मदद करेगा, बल्कि विपक्षी महा विकास अघाड़ी के लिए भी मजबूती का संकेत होगा।


महाराष्ट्र की जनता की भावनाएं

महाराष्ट्र में ठाकरे परिवार का गहरा जुड़ाव है। बालासाहेब ठाकरे के समय से ही यह परिवार राज्य की राजनीति और जनता के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है।
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के फिर से साथ आने की संभावना पर महाराष्ट्र के लोग उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं।

हालांकि, यह देखना बाकी है कि क्या पारिवारिक कार्यक्रमों की ये मुलाकातें वास्तव में किसी बड़े राजनीतिक गठबंधन की ओर इशारा करती हैं, या ये सिर्फ पारिवारिक रिश्तों का हिस्सा हैं।


#ThackerayFamily #UddhavRajPolitics #MaharashtraPolitics #ShivSena #MNS

ये भी पढ़ें: शनिदेव साल 2025 में देंगे कठोर दंड! ये 3 राशि वाले जातक रहें सावधान, यहां जानें उपाय

You may also like