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Election Commissioner’s election: अगर राष्ट्रपति का चुनाव हो सकता है तो चुनाव आयुक्त का क्यों नहीं, ONOE के बीच उद्धव की नई मांग

Election Commissioner's election: अगर राष्ट्रपति का चुनाव हो सकता है तो चुनाव आयुक्त का क्यों नहीं, ONOE के बीच उद्धव की नई मांग

Election Commissioner’s election: देश में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ (ONOE) पर छिड़ी गर्म बहस के बीच शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एक नई मांग उठाकर राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। उन्होंने सवाल किया कि अगर राष्ट्रपति का चुनाव हो सकता है, तो चुनाव आयुक्त का क्यों नहीं? यह बयान न केवल चुनाव प्रणाली की पारदर्शिता को लेकर सवाल खड़े करता है, बल्कि विपक्ष के एजेंडे में एक नई बहस को भी जन्म देता है।

चुनाव प्रक्रिया पर उद्धव का रुख

नागपुर में संवाददाताओं से बात करते हुए उद्धव ठाकरे ने चुनाव प्रणाली में पारदर्शिता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जब देश का सर्वोच्च पद यानी राष्ट्रपति का चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से हो सकता है, तो चुनाव आयुक्त का चुनाव भी इसी प्रक्रिया के तहत होना चाहिए। हालांकि, उन्होंने इस प्रक्रिया को लागू करने का तरीका स्पष्ट नहीं किया।

उद्धव ने यह भी कहा कि ईवीएम (EVM) को लेकर जनता के बीच जो संदेह है, उसे खत्म किया जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि एक बार बैलेट पेपर से मतदान कराया जाए। उनका कहना था कि अगर बैलेट पेपर से भी उतने ही वोट मिलते हैं, तो इसके बाद ईवीएम को लेकर किसी भी तरह का विवाद समाप्त हो जाएगा।

एक राष्ट्र, एक चुनाव: केंद्र सरकार की पहल

केंद्र सरकार ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान वाले संविधान (129वां) संशोधन विधेयक, 2024 को लोकसभा में पेश किया। हालांकि, इस विधेयक का विपक्षी दलों ने जमकर विरोध किया। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस विधेयक को देश के हित में बताते हुए सदन में प्रस्तुत किया, लेकिन विपक्ष ने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ करार दिया।

इस विधेयक पर लोकसभा में वोटिंग हुई, जिसमें 269 वोट इसके पक्ष में और 198 वोट विरोध में पड़े। इसके बावजूद, यह मुद्दा अब भी संसद और बाहर दोनों जगहों पर चर्चा का केंद्र बना हुआ है।

ONOE पर उद्धव का रुख

उद्धव ठाकरे ने कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का प्रस्ताव देश के असल मुद्दों से ध्यान भटकाने का तरीका हो सकता है। उन्होंने इसे लागू करने से पहले चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की मांग की। उनका कहना था कि जब तक चुनाव प्रणाली पर जनता का भरोसा नहीं बनता, तब तक ऐसे बड़े बदलावों पर विचार करना सही नहीं होगा।

महाराष्ट्र की राजनीति में नई हलचल

उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार की ‘लाडकी बहिन योजना’ को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि देवेंद्र फडणवीस सरकार को अपने वादे के मुताबिक, महिलाओं को 2,100 रुपये प्रति माह देने चाहिए। फिलहाल, इस योजना के तहत महिलाओं को 1,500 रुपये मिल रहे हैं।

यह बयान उस समय आया है जब महाराष्ट्र में राजनीतिक समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं। उद्धव की यह मांग महाराष्ट्र सरकार पर दबाव बढ़ाने की कोशिश के तौर पर देखी जा रही है।

क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ?

उद्धव ठाकरे की इस मांग को कई लोग चुनावी रणनीति के तहत देख रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान शिवसेना (UBT) को विपक्ष के भीतर अपनी पहचान मजबूत करने की कोशिश हो सकती है।

क्या होगा आगे?

उद्धव ठाकरे के इस बयान ने विपक्ष और केंद्र सरकार के बीच चल रही बहस को और तेज कर दिया है। चुनाव आयुक्त के चुनाव की मांग पर चर्चा होगी या नहीं, यह तो समय बताएगा। लेकिन एक बात साफ है कि यह मुद्दा आने वाले समय में राजनीतिक बहस का बड़ा हिस्सा बन सकता है।

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