Visceral Fat and Alzheimer’s: क्या आप जानते हैं कि पेट की चर्बी (Visceral Fat) न केवल आपके शरीर को प्रभावित करती है बल्कि आपके दिमाग के लिए भी खतरनाक हो सकती है? नई स्टडीज यह साबित कर रही हैं कि पेट के अंदर जमा यह चर्बी, जिसे विसरल फैट कहा जाता है, अल्जाइमर जैसी खतरनाक ब्रेन की बीमारी से गहरा संबंध रखती है। रेडियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका (RSNA) की रिसर्च में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि यह चर्बी अल्जाइमर के शुरुआती संकेत 20 साल पहले ही दे सकती है।
तो, यह जानना जरूरी है कि कैसे पेट की यह छिपी हुई चर्बी आपके मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकती है और इस पर ध्यान देना आपके स्वास्थ्य के लिए कितना महत्वपूर्ण है।
विसरल फैट: शरीर का छुपा हुआ दुश्मन
विसरल फैट यानी पेट के अंदर की चर्बी हमारे इंटरनल ऑर्गन्स जैसे- लिवर, किडनी, आंतों और दिल के पास जमा होती है। आमतौर पर यह चर्बी बाहर से दिखाई नहीं देती लेकिन शरीर के लिए बहुत खतरनाक हो सकती है।
शोधकर्ताओं ने इस बात की पुष्टि की है कि जिन लोगों का बॉडी मास इंडेक्स (BMI) ज्यादा होता है, उनमें पेट की चर्बी (Visceral Fat) का स्तर भी अधिक पाया जाता है। यह चर्बी न केवल हार्मोनल असंतुलन का कारण बनती है बल्कि मस्तिष्क में एमिलॉइड और टाऊ नामक प्रोटीन का संग्रह भी बढ़ाती है। ये प्रोटीन अल्जाइमर रोग की मुख्य पहचान माने जाते हैं।
अल्जाइमर और चर्बी का संबंध: ब्रेन पर पड़ने वाला असर
शोध में पाया गया कि अल्जाइमर और चर्बी का संबंध (Connection Between Alzheimer’s and Fat) बेहद गहरा है। मस्तिष्क में एमिलॉइड और टाऊ प्रोटीन जमा होने से ब्रेन सेल्स को नुकसान पहुंचता है। यह प्रोटीन अल्जाइमर के शुरुआती संकेत देता है और विसरल फैट इस प्रक्रिया को तेजी से बढ़ावा देता है।
स्टडी में 80 लोगों को शामिल किया गया, जिनकी औसत उम्र 49 साल थी। इन लोगों में 57.5% मोटापे का शिकार थे। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिनका BMI ज्यादा था और पेट की चर्बी अधिक थी, उनके ब्रेन में एमिलॉइड का स्तर सामान्य से ज्यादा था। यह साफ तौर पर बताता है कि पेट की चर्बी अल्जाइमर के जोखिम को कई गुना बढ़ा सकती है।
एचडीएल और इंसुलिन: कैसे बनते हैं सुरक्षात्मक कारक?
गुड कोलेस्ट्रॉल, जिसे एचडीएल (HDL) कहा जाता है, मस्तिष्क की सेहत के लिए एक सुरक्षात्मक परत की तरह काम करता है। जिन लोगों में एचडीएल का स्तर ज्यादा था, उनमें पेट की चर्बी के नकारात्मक प्रभाव कम देखे गए। इसका मतलब यह है कि अगर आपका गुड कोलेस्ट्रॉल बेहतर है, तो यह मस्तिष्क को बचाने में मदद कर सकता है।
इसके साथ ही, शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि हाई इंसुलिन रेजिस्टेंस और लो एचडीएल लेवल वाले लोगों में एमिलॉइड प्रोटीन का संग्रह अधिक पाया गया। यह मस्तिष्क के लिए बेहद हानिकारक है और अल्जाइमर का खतरा बढ़ा सकता है।
क्या कर सकते हैं आप?
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए सबसे जरूरी है अपने वजन और पेट की चर्बी (Visceral Fat) को नियंत्रित करना। नियमित व्यायाम, हेल्दी डाइट और कोलेस्ट्रॉल को संतुलित रखना न केवल आपके शरीर को स्वस्थ बनाएगा, बल्कि मस्तिष्क को भी बीमारियों से बचाएगा।
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