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Waqf Board Properties: क्या आप जानते हैं कि भारत में वक्फ बोर्ड तीसरा सबसे बड़ा जमीन मालिक है? जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी

Waqf Board Properties: क्या आप जानते हैं कि भारत में वक्फ बोर्ड तीसरा सबसे बड़ा जमीन मालिक है? जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी
Waqf Board Properties in India: भारत में धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा वक्फ बोर्ड संपत्तियां (Waqf Board Properties) हैं। यह एक ऐसी व्यवस्था है जो मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सामाजिक भलाई के लिए काम करती है। हाल ही में सरकार ने इस व्यवस्था में सुधार के लिए नए कानून का प्रस्ताव रखा है।

वक्फ की समझ

वक्फ बोर्ड संपत्तियां (Waqf Board Properties) का इतिहास बहुत पुराना है। यह इस्लामिक कानून के तहत संपत्ति का स्थायी समर्पण है। इसमें मस्जिदें, मदरसे, दरगाहें, कब्रिस्तान, स्कूल, दुकानें और कृषि भूमि शामिल होती हैं। इन संपत्तियों का उपयोग समाज की भलाई के लिए किया जाता है और इन्हें न तो बेचा जा सकता है और न ही स्थायी रूप से किराए पर दिया जा सकता है।

वक्फ बोर्ड की विशाल संपत्ति

भारत में वक्फ बोर्ड के पास लगभग 9.4 लाख एकड़ जमीन है, जिसकी कीमत करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये है। यह आंकड़ा इतना बड़ा है कि वक्फ बोर्ड भारत का तीसरा सबसे बड़ा जमीन मालिक बन गया है। पहले नंबर पर भारतीय रेलवे और दूसरे नंबर पर सशस्त्र बल हैं।

कानूनी बदलाव और नई व्यवस्था

वक्फ कानून में प्रस्तावित बदलाव (Proposed Changes in Waqf Law) कई महत्वपूर्ण पहलुओं को छूते हैं। नए कानून के तहत वक्फ बोर्डों को अपनी सभी संपत्तियों का पंजीकरण जिला कलेक्टर के पास कराना होगा। इससे संपत्तियों का सही मूल्यांकन हो सकेगा और पारदर्शिता बढ़ेगी। साथ ही, बोर्ड के सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया में भी बदलाव किया जा रहा है।

नई व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव यह है कि अब गैर-मुस्लिम व्यक्ति भी वक्फ बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी बन सकता है। हर बोर्ड में कम से कम दो गैर-मुस्लिम सदस्य होने चाहिए। साथ ही महिलाओं की भागीदारी को भी सुनिश्चित किया जाएगा।

विवाद और चुनौतियां

वर्तमान में वक्फ ट्रिब्यूनल में 40,951 मामले लंबित हैं। इनमें से 9,942 मामले खुद मुस्लिम समुदाय द्वारा वक्फ संस्थाओं के खिलाफ दायर किए गए हैं। मामलों में भूमि स्वामित्व, प्रबंधन में गड़बड़ी और संपत्तियों के गलत इस्तेमाल के मुद्दे शामिल हैं। ट्रिब्यूनल के फैसलों को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।

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