भारतीय राजनीति के इतिहास में एक ऐसा मोड़ आ गया है, जहां देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पार्टी को एक परजीवी करार दिया है। महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के हालिया चुनाव परिणामों के बाद, यह बयान भारतीय राजनीति में भूचाल ला सकता है।
गठबंधन में विश्वासघात: एक गहरी पड़ताल
कांग्रेस का पतन (Congress’s Decline) अब किसी से छिपा नहीं है। महाराष्ट्र में पार्टी ने पांच में से चार सीटें गंवा दीं। यही नहीं, कांग्रेस का पतन (Congress’s Decline) उनके गठबंधन सहयोगियों के लिए भी मुसीबत बन गया। मोदी के अनुसार, पार्टी का अहंकार इतना बढ़ गया है कि वह अपने सहयोगियों की सफलता को भी बर्दाश्त नहीं कर पाती। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को एक भी सीट नहीं दी, जो इस बात का प्रमाण है कि सहयोगी दल भी अब कांग्रेस से दूरी बना रहे हैं।
तुष्टिकरण की राजनीति: एक खतरनाक खेल
वोटबैंक की राजनीति पर मोदी का कांग्रेस पर प्रहार (Modi’s Attack on Congress) बेहद तीखा रहा। उन्होंने बताया कि कैसे 2014 में सत्ता छोड़ने से पहले कांग्रेस ने दिल्ली के आसपास की कई संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दीं। यह कदम संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ था, क्योंकि बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान में वक्फ कानून का कोई जिक्र नहीं है।
जातिवाद का जहर: सामाजिक एकता पर प्रहार
पीएम मोदी ने एक दिलचस्प तथ्य साझा किया। एक समय था जब कांग्रेस जातिवाद के खिलाफ आवाज उठाती थी। लेकिन आज वही पार्टी जाति के नाम पर देश को बांटने का काम कर रही है। एक परिवार की सत्ता की भूख ने पार्टी को इस कदर खोखला कर दिया है कि पुराने कांग्रेसी कार्यकर्ता भी अब अपनी पुरानी पार्टी को याद करते हैं।
वक्फ बोर्ड विवाद: संवैधानिक मूल्यों की अवहेलना
प्रधानमंत्री ने वक्फ बोर्ड के मुद्दे को गंभीरता से उठाया। उन्होंने बताया कि कैसे कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की भी अवहेलना की। यह तुष्टिकरण की राजनीति का एक ज्वलंत उदाहरण है, जहां एक विशेष वर्ग को खुश करने के लिए संवैधानिक मूल्यों की अनदेखी की गई।
महाराष्ट्र चुनाव: एक नई राजनीतिक करवट
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और उसके सहयोगियों की हार ने साबित कर दिया कि पार्टी अब अपने दम पर चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे कांग्रेस ने वीर सावरकर को गाली देना भी टेम्परेरी तौर पर बंद कर दिया, केवल वोट पाने के लिए।
साथ ही, उनका कहना था कि कांग्रेस का अहंकार सातवें आसमान पर है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि पार्टी अब एक परजीवी की तरह अपने सहयोगियों पर निर्भर है। यह स्थिति न केवल कांग्रेस के लिए, बल्कि भारतीय लोकतंत्र के लिए भी चिंता का विषय है।
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